पुतिन को हाथ में हथकड़ी लगने का सता रहा है डर! BRICS के लिए दक्षिण अफ्रीका जाने से किया मना

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगस्त में होने वाले ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे. पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया था और पश्चिमी देश दक्षिण अफ्रीका पर रूसी राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का दबाव डाल रहे हैं. समिट में पुतिन की जगह रूस के विदेश मंत्री शामिल होंगे.
क्या रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गिरफ्तार होने का डर सता रहा है. ये सवाल इस वजह से उठ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अगस्त में होने वाले ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में शामिल होने से इंकार कर दिया है. अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने बुधवार को समिट में पुतिन के हिस्सा नहीं लेने का आधिकारिक ऐलान किया. समूह में ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं. ये सम्मेलन इस बार जोहांसबर्ग में होना है.
पुतिन की जगह रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव समिट में शामिल होंगे. दक्षिण अफ़्रीका में पुतिन की गिरफ्तारी की संभावना पर क्रेमलीन की ओर से ये जानकारी सामने आई है. क्रेमलिन ने कहा, हमने दक्षिण अफ्रीका से यह नहीं कहा था कि पुतिन को अरेस्ट किया तो रूस के खिलाफ युद्ध माना जाएगा, मगर यह सब समझते हैं कि रूस के राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसे किसी दुस्साहस का मतलब क्या है.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने कहा कि पुतिन को अरेस्ट करने का मतलब रूस से युद्ध छेड़ना है. जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिमी देशों का दक्षिण अफ्रीका पर पुतिन को गिरफ्तार करने का जबरदस्त दबाव है
अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने वार क्राइम को लेकर मार्च में पुतिन और रूसी अधिकारी मारिया लावोवा-बेलोवा के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. इस फैसले का मतलब है कि दक्षिण अफ्रीका को इस दुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा कि वह पुतिन के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट की तामील कराए या नहीं. बता दें कि दक्षिण अफ्रीका ने उस संधि पर दस्तख्त किए थे जिसके तहत आईसीसी का गठित किया गया था.

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संधि के तहत उसका दायित्व है कि वह पुतिन को गिरफ्तार करे. हालांकि अफ्रीका ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह गिरफ्तारी वारंट की तामील नहीं कराएगा. लेकिन अफ्रीका इस परेशानी से बच जाएगा. रामाफोसा ने हाल में राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की थी, जिसके बाद यह ऐलान किया गया था.

रामाफोसा के ऑफिस ने कहा, समिट में पुतिन के शामिल नहीं होने का फैसला आपसी सहमति से लिया गया है. बता दें कि ब्रिक्स आर्थिक समूह है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.