तालिबान का पैरोकार बना पाक, कहा- अफगानिस्तान को लेकर पिछली गलतियां न दोहराए दुनिया

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इस्लामाबाद। अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार को मान्यता दिलाने के लिए बिचौलिए की भूमिका में आए पाकिस्तान ने गुरुवार को तालिबानी अंदाज में बात की। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि तालिबान दुनिया के साथ संवाद में दिलचस्पी रखता है, ताकि अफगानिस्तान में उसकी सरकार को मान्यता मिल सके। साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेताया कि वह पिछली गलतियों को न दोहराए, जब अफगानिस्तान को अलग-थलग किए जाने से कई समस्याएं खड़ी हो गई थीं।

तालिबान की कर रहा पैरोकारी

अफगानिस्तान पर ट्रोइका प्लस बैठक के उद्घाटन सत्र में कुरैशी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण आने वाली मानवीय आपदा से बचने के लिए अफगानिस्तान की तुरंत मदद करने की अपील की। पाकिस्तान पड़ोसी देश अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा के लिए इस्लामाबाद में अमेरिका, चीन और रूस के वरिष्ठ राजनयिकों की मेजबानी कर रहा है।

मदद करे अंतरराष्ट्रीय समुदाय

पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, ‘अफगानिस्तान बर्बाद होने के कगार पर है… वह वेतन भी नहीं दे सकता है। आम आदमी अकाल जैसी स्थिति का सामना कर रहा है, जिससे सरकार बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आपातकालीन आधार पर उसकी मदद करे।’

संपत्तियों को मुक्त करने की लगाई गुहार

कुरैशी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान की संपत्तियों को मुक्त करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘इससे आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने में अफगानिस्तान सरकार को मदद मिलेगी।’ कुरैशी ने उम्मीद जताई कि ट्रोइका प्लस बैठक अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के लिए मददगार होगी और देश की धरती से आतंकवादियों को खत्म करने में भूमिका निभाएगी।

अफगानी वित्त मंत्री से मिलेंगे चीन, रूस व अमेरिका के विशेष दूत

अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष दूत थामस वेस्ट वहां के कार्यवाहक वित्त मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से गुरुवार को मुलाकात करेंगे। तालिबानी नेता से रूस व चीन के प्रतिनिधि भी भेंट करेंगे। मुत्ताकी बुधवार को ही प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामाबाद पहुंच चुके हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद के हवाले से टोलो न्यूज ने कहा कि मुत्ताकी पाकिस्तान के साथ आर्थिक व पारगमन जैसे मुद्दों पर वार्ता करेंगे।

15 अगस्त को किया था कब्‍जा

गौरतलब है कि अफगानिस्तान की सत्ता पर 15 अगस्त को तालिबान ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद अमेरिका ने अफगान केंद्रीय बैंक की नौ अरब डालर से अधिक की संपत्ति को जब्त कर लिया।