इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद से वहां असमंजस की स्थिति है। अब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है लेकिन अभी तक तीन दिनों में कोई हल नहीं निकल पाया है। सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई शुरू हो चुकी है और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल का कहना है कि शीर्ष अदालत आज सुनवाई पूरी करने की कोशिश करेगी।
विदेशी साजिश के सबूत मांगे
वहीं पाक मीडिया के अनुसार पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने पीटीआइ सरकार के वकील बाबर अवान से राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की हालिया बैठक की कार्रवाई की जानकारी मांगी है। गौरतलब है कि इस बैठक में एक पत्र पर चर्चा की गई थी जिसमें कथित तौर पर एक विदेशी साजिश का सबूत दिखाया गया था।मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बंदियाल ने कहा, ‘हम देखना चाहते हैं कि क्या साजिश थी जिसका इस्तेमाल प्रस्ताव को खारिज करने के लिए किया गया।
राष्ट्रपति ने इसीपी को चुनाव की घोषणा करने को कहा
दूसरी ओर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पाकिस्तान के इलेक्शन कमीशन (इसीपी) को एक पत्र भेजकर चुनावी निकाय से आम चुनावों की तारीखों की घोषणा करने का अनुरोध किया है। बता दें कि राष्ट्रपति ने पहले ही सदन को भंग कर 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने को कहा है।
सोमवार को कोर्ट की कार्रवाई में यह हुआ
बता दें कि सोमवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह कोई भी निर्णय लेने से पहले नेशनल असेंबली में हुई कार्यवाही को देखना चाहता है।
गौरतलब है कि इमरान सरकार के खिलाफ संयुक्त विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने खारिज कर दिया था जिसके बाद सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने सदन को भंग कर दिया और 90 दिन के भीतर चुनाव कराने की घोषणा की है।
चुनाव आयोग जल्द चुनाव के पक्ष में नहीं
इमरान सरकार ने 90 दिनों में चुनाव कराने की बात कही हैं लेकिन पाकस्तान के चुनाव आयोग ने तीन माह में चुनाव कराने में असमर्थता जताई है। आयोग के अनुसार इतनी जल्द चुनाव कराना आसान नहीं हैं और इसमें कम से कम छह महीने का समय लगेगा। वहीं अगर सुप्रीम कोर्ट इमरान के पक्ष में अपना फैसला सुनाता है तो जल्द चुनाव हो सकते हैं। बहरहाल कोर्ट का साफ कहना है कि उसका ध्यान केवल डिप्टी स्पीकर के फैसले पर है और वह स्पीकर की कार्रवाई की वैधता पर ही अपना फैसला सुनाएगी।