तेहरान। आर्थिक दबाव के चलते ईरान के राष्ट्रपति (President of Iran) ने यूएन प्रतिबंधों (UN bans) को लेकर अमेरिका की तरफ से किए जा रहे सभी प्रयासों को खारिज कर दिया है। रविवार को देश की स्थानीय मुद्रा अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो (Mike Pompeo) ने संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक 75वें सत्र के दौरान ईरान पर यूएन प्रतिबंधों को दोबारा बहाल करने की घोषणा की थी।
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते उसकी वैश्विक स्तर पर तेल बेचने की क्षमता में कमी आई है। इस वजह से देश की स्थानीय करंसी रियाल में डॉलर के मुकाबले 30 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। 2015 में ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में विश्व शक्तियों के साथ तेहरान के परमाणु समझौते के समय रियाल की कीमत डॉलर के मुकाबले 32,000 थी। इस वक्त करंसी में भारी गिरावट आने के बाद यह यूएस डॉलर के मुकाबले 2,72,500 पहुंच गई है। इसका मतलब ईरान में एक डॉलर के बदले अब 2,72,50 रियाल मिल रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने यूएन प्रतिबंधों की बहाली की घोषणा के दौरान कहा था कि अमेरिका को यह फैसला इसलिए लेना पड़ा कि ईरान ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ पर अमल करने में विफल रहा। वहीं, सुरक्षा परिषद 13 साल से ईरान पर लागू संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंधों को आगे नहीं बढ़ा पाया।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका के इस फैसले से दुनिया ज्यादा सुरक्षित होगी।
वहीं, सुरक्षा परिषद के बाकी सदस्य देशों ने अमेरिका के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। इनका कहना है कि 2018 में ईरान परमाणु समझौते से बाहर निकल जाने के बाद अमेरिका ऐसे फैसले लेने का कानूनी आधार गंवा चुका है। ईरानी विदेश मंत्री ने भी यही बात कही। कहा कि अमेरिकी कदम अर्थहीन है, जिसका कोई कानूनी आधार और प्रभाव नहीं है। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने भी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि अमेरिकी घोषणा का कोई कानूनी प्रभाव या बाध्यता नहीं है।