जानिए क्यों पाकिस्तान के सुरक्षा हालातों से चिंतित है चीन, जान-माल का खतरा पैदा होने की भी है आशंका

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बीजिंग। पाकिस्तान में हाल के बलोच अलगाववादियों के हमलों ने चीन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इससे पाकिस्तान में चल रही चीन की वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) परियोजना को लेकर खतरा बढ़ गया है और उस पर होने वाला खर्च बढ़ने की भी आशंका पैदा हो गई है। इस परियोजना के अंतर्गत ही चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (CPEC) पर चीन 60 अरब डॉलर (करीब 4.20 लाख करोड़ रुपये) खर्च कर रहा है। यह कॉरीडोर चीन को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है, जिसके जरिये चीन मध्य एशिया और यूरोप को अपना माल भेज रहा है।

सीपीईसी पर बढ़ गया है खतरा

ग्वादर बंदरगाह पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में है और सीपीईसी का बड़ा हिस्सा भी इसी प्रांत से होकर गुजरता है। इसके चलते चीन द्वारा संचालित ग्वादर बंदरगाह और उस तक पहुंचने वाले सीपीईसी पर खतरा बढ़ गया है। हांगकांग से प्रकाशित होने वाले साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट ने इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट छापी है। सीपीईसी की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना ने खास बंदोबस्त किए हैं लेकिन चीन के अधिकारी उन्हें नाकाफी मानते हैं। चीनी अधिकारियों को लगता है कि आने वाले दिनों में बलोच अलगाववादियों के हमले और बढ़ेंगे, साथ ही चीन के लिए जान-माल का खतरा भी बढ़ेगा। बलूचिस्तान में मई से तीन हमले हो चुके हैं। बीते मंगलवार को ही पांजगुर जिले में अर्धसैनिक बल के काफिले पर हमला हुआ है। इस हमले में तीन जवान मारे गए जबकि आठ घायल हुए हैं। घायलों में सेना का एक कर्नल भी शामिल है।

सिंध प्रांत में भी चीन ने कर रखा है बड़ा निवेश

बलूचिस्तान की तरह चीन ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी बड़ा निवेश कर रखा है। कराची बंदरगाह में चीनी कंपनी कंटेनर टर्मिनल का संचालन और विकास कर रही है, तो कई अन्य कंपनियां परमाणु और कोयला आधारित परियोजनाओं पर कार्य कर रही हैं। ये सारे कार्य सीपीईसी के अंतर्गत हो रहे हैं। कराची के स्टॉक एक्सचेंज में 29 जून को हुए अलगाववादियों के हमले को भी चीन ने गंभीरता से लिया है। हालांकि इस हमले को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने विफल कर दिया था और हमलावरों को मार गिराया था। लेकिन चीन पाकिस्तान में सुरक्षा हालातों को संतोषजनक नहीं मानता। इससे उसके मन में अपने निवेश को लेकर चिंता है।