पाकिस्‍तान को लेकर अमेरिका के रुख में आए बदलाव की वजह है चीन और भारत- इमरान खान

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इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि वो अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन के फोन का अब इंतजार नहीं कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा है कि वो सुन रहे हैं क‍ि वो उन्‍हें फोन नहीं करेंगे। ये उनका अपना फैसला है, लिहाजा वो उनकी तरफ से आने वाले किसी फोन का इंतजार नहीं कर रहे हैं। अपने आवास पर विदेशी मीडिया को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने अमेरिका से रिश्‍तों में आई गिरावट की वजह भी बताई और अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर भी चर्चा की। इस इंटरव्‍यू में भी वो भारत पर अंगुली उठाने से बाज नहीं आए।

पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका से संबंधों में आई गिरावट की दो बड़ी वजह बताईं। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका भारत को अपना रणनीतिक साझेदार मानता है इसलिए अमेरिका लगातार पाकिस्‍तान को तवज्‍जो नहीं दे रहा है। इसकी दूसरी वजह उन्‍होंने चीन से बेहतर संबंधों को माना है। इमरान खान ने कहा कि क्‍योंकि उनके संबंध चीन से बेहद पुराने और बेहद मजबूत हैं, इसलिए भी पाकिस्‍तान को ताक पर रखा जा रहा है।

उन्‍होंने ये भी कहा कि पाकिस्‍तान हर बार इस बात को कहता रहा है कि राष्‍ट्रपति बाइडन के पाकिस्‍तान से बात न करने के पीछे तकनीकी या फिर दूसरी वजह रही होंगी। लेकिन, ये बातें पाकिस्‍तान की जनता के गले नहीं उतरती हैं। वो इस पर विश्‍वास करने को कतई तैयार भी नहीं है। इमरान ने कहा कि यदि पाकिस्‍तान के साथ फोन पर होने वाली बातचीत और दोनों के बीच सुरक्षा संबंध किसी तरह की रियायत है तो फिर पाकिस्‍तान के पास भी दूसरे विकल्‍प मौजूद हैं, जिनके बारे में वो सोच भी सकता है और उनके साथ जा भी सकता है।

अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि अमेरिकी फौज दो दशक तक तालिबान का कुछ नहीं कर सकी। वो अब अफगानिस्‍तान को बीच मझधार में छोड़कर जा रहे हैं, जिससे हालात और खराब हो रहे हैं। उन्‍होंने इशारों ही इशारों में पाकिस्‍तान को अफगानिस्‍तान के हालातों को सुधारने के लिए एक अहम देश बताया। उनका कहना था कि ये बेहद सामान्‍य सी बात है कि यदि आप अफगानिस्‍तान का राजनीतिक समाधान चाहते हैं तो आपको ताकतवर के साथ बात करनी होगी। लेकिन, अमेरिका अब अफगानिस्‍तान की बदहाली के लिए पाकिस्‍तान को ही जिम्‍मेदार ठहरा रहा है, जो कि गलत है।

उन्‍होंने ये भी कहा कि अफगानिस्‍तान के हालात को लेकर वो खुद चिंता में हैं। इसकी वजह ये है कि वहां पर चलने वाले सिविल वार से वो सीधेतौर पर प्रभावित होते हैं। पाकिस्‍तान ही इससे सबसे अधिक प्रभावित रहा है। उनके मुताबिक तालिबान में अधिकतर मख्‍तून हैं जो पाकिस्‍तान में रहने वाले पख्‍तूनों को प्रभावित करते हैं। वर्ष 2003 और 2004 में भी पाकिस्‍तान में रहने वाले पख्‍तूनों ने अफगानिस्‍तान के हालातों पर काफी आक्रामक रुख अपनाया था। इसमें पाकिस्‍तान के करीब 70 हजार लोग भी मारे गए थे क्‍योंकि हम अमेरिका का समर्थन कर रहे थे।