संयुक्त राष्ट्र। पाकिस्तान अपनी हरकतों से एक बार फिर बाज नहीं आया। शुक्रवार को जब वैश्विक नेता यूएन ईसीओएसओसी की उच्चस्तरीय बैठक में ‘कोविड-19 के बाद बहुपक्षवाद : 75वीं सालगिरह पर हमें किस तरह के संयुक्त राष्ट्र की जरूरत’ पर चर्चा कर रहे थे तो पाकिस्तान ने इस मंच का इस्तेमाल भी जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) का मसला उठाने के लिए किया। साथ ही उसने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के विस्तार का भी विरोध किया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षवाद की पूरी अवधारणा कट्टरता, जबरदस्ती और बल का मनमाना उपयोग करके मिटा दी गई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान खास तौर पर जम्मू और कश्मीर के लोगों के खिलाफ किए जा रहे दमन और अत्याचारों के प्रति चिंतित है। ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान ने ऐसा पहली बार किया है। पिछले साल भी इमरान खान ने इस वैश्विक मंच का दुरुपयोग किया था।
तब इमरान खान पूरे भाषण के दौरान कभी धमकी भरे तो कभी मायूसी भरे लहजे में खून-खराबे और युद्ध की बातें करते रहे थे। यहां तक कि उन्होंने यूएन के मंच से भी परमाणु युद्ध की धमकी दे डाली थी। बार बार बर्जर बजाकर रोके जाने के बावजूद इमरान खान आधे घंटे से ज्यादा समय तक बोलते रहे थे जबकि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भारत की सफल योजनाओं का जिक्र करते हुए विश्व बंधुत्व, शांति, सौहार्द और विकास की बातें की थी।
इस बार भी पीएम मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र के साथ समावेशी विकास की दिशा में भारत के प्रयासों को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भूकंप हो, चक्रवात हों, इबोला संकट हो या अन्य कोई प्राकृतिक अथवा मानव जनित आपदा भारत ने एकजुटता से उसका मुकाबला किया है। भारत ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 150 से अधिक देशों को चिकित्सा तथा अन्य सहायता पहुंचाई है।
पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की हिमायत भी की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ आज की दुनिया में इसकी भूमिका और महत्ता के आकलन का अवसर है। इसके गठन के बाद से बहुत कुछ बदल गया है। संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य देश हैं और इसकी सदस्यता के साथ-साथ संगठन से उम्मीदें भी बढ़ी हैं। भारत का मानना है कि स्थायी शांति को केवल बहुपक्षीय माध्यम से ही हासिल किया जा सकता है।