टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज नमन ओझा ने इंटरनैशनल और डोमेस्टिक क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। 37 वर्षीय नमन ओझा ने भारत के लिए एक टेस्ट, एक वनडे और दो टी20 इंटरनैशनल मैच खेले हैं। रणजी ट्रॉफी में विकेटकीपर के तौर पर सबसे ज्यादा शिकार (351) का रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले मध्यप्रदेश के इस दिग्गज ने कुल मिलाकर चार इंटरनैशनल मैच खेले हैं। ओझा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खेल के सभी फॉर्मैट से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए कहा कि वह अब दुनिया भर के टी20 लीगों में खेलना चाहते है। संन्यास की घोषणा करते समय इस 37 साल के खिलाड़ी की आंखे नम हो गई थीं। नमन ओझा को जून 2010 में इंटरनैशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। 2010 में जिम्बाब्वे में खेली गई ट्राइंगुलर सीरीज के दौरान उन्होंने अपने करियर का इकलौता वनडे इंटरनैशनल मैच खेला था, जिसमें वह महज एक रन बनाकर आउट हुए थे। नमन उस मैच में बल्लेबाज के तौर पर खेले थे, जबकि विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर टीम में दिनेश कार्तिक मौजूद थे। धोनी उस सीरीज में नहीं खेले थे।
रणजी ट्रॉफी में विकेटकीपर के तौर पर सबसे ज्यादा शिकार (351) का रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले मध्यप्रदेश के इस दिग्गज ने कुल मिलाकर चार इंटरनैशनल मैच खेले हैं। ओझा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खेल के सभी फॉर्मैट से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए कहा कि वह अब दुनिया भर के टी20 लीगों में खेलना चाहते है। संन्यास की घोषणा करते समय इस 37 साल के खिलाड़ी की आंखे नम हो गई थीं। उन्होंने कहा, ‘मैं क्रिकेट के सभी फॉर्मैट से संन्यास ले रहा हूं। यह लंबा सफर था और राज्य और नैशनल टीम का प्रतिनिधित्व करने का मेरा सपना पूरा हुआ।’ उन्होंने राज्य और नैशनल टीम में मौका देने के लिए मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का शुक्रिया अदा किया।
ओझा ने कहा, ‘मैं अपने करियर के दौरान साथ देने के लिए एमपीसीए, बीसीसीआई और साथी खिलाड़ियों और कोचों के अलावा आपने परिवार और दोस्तों का शुक्रिया करना चाहूंगा।’ महज 17 साल की उम्र में 2000-01 सीजन से घरेलू क्रिकेट में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले इस खिलाड़ी के लिए करिश्माई महेन्द्र सिंह धोनी के युग में नैशनल टीम के लिए अधिक मौके मिलना मुश्किल हो गया। घरेलू क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग में शानदार प्रदर्शन के बाद 2010 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे और जिम्बाब्वे के खिलाफ टी20 इंटरनैशनल सीरीज के दौ मैचों में खेलने का मौका मिला।
उन्हें हालांकि एक वनडे और दो टी20 इंटरनैशनल के बाद टीम में मौका नहीं मिला। भारत ए के साथ 2014 ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बल्ले से शानदार प्रदर्शन करने के बाद 2015 में उन्हें भारतीय टेस्ट टीम के लिए चुना गया। श्रीलंका दौरे पर तीसरे टेस्ट में उन्हें डेब्यू का मौका मिला था, जिसमें उन्होंने पहली पारी में 21 और दूसरी पारी में 35 रन का योगदान दिया था।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 143 मैचों में 41.67 की औसत से 9753 रन (रणजी में 7861 रन) बनाने के साथ विकेट के पीछे 54 स्टंपिंग सहित 471 शिकार करने वाले ओझा ने कहा कि उन्हें दूसरी टीमों से घरेलू क्रिकेट में खेलने का प्रस्ताव मिला था लेकिन परिवार को प्राथमिकता देने के कारण उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। ओझा ने कहा, ‘मेरे पीठ में दर्द की समस्या है ऐसे में लंबे फॉर्मैट में मुझे समस्या हो रही थी। इसका एक और कारण यह भी है कि किसी टीम से जुड़ने के बाद मुझे कम से कम छह महीने तक उनके साथ रहना होगा। मैं परिवार के साथ समय बिताना चाहता हूं।’ उन्होंने पिछले साल जनवरी में उत्तर प्रदेश के खिलाफ अपना आखिरी रणजी मैच खेला था। उन्होंने आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स, दिल्ली डेयरडेविल्स और सनराइजर्स हैदराबाद का प्रतिनिधित्व किया है। वह खिताब जीतने वाली सनराइजर्स हैदराबाद के सदस्य थे।