नई दिल्ली । भारत में खेले जाने वाले पहले डे-नाइट टेस्ट मैच को लेकर सचिन ने कहा कि जब तक ओस मैच को प्रभावित नहीं करती तब तक यह अच्छा कदम है लेकिन अगर ओस का प्रभाव पड़ता है तो तेज गेंदबाजों और स्पिनरों दोनों के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि एक बार गेंद गीली हो गई तो ना तो तेज गेंदबाज अधिक कुछ कर पाएंगे और ना ही स्पिनर। इस तरह से गेंदबाजों की परीक्षा होगी लेकिन अगर ओस नहीं होती है तो यह अच्छा कदम होगा। सचिन ने डे-नाइट टेस्ट मैच को लेकर भारतीय बल्लेबाजों को कुछ अहम सलाह दी।
गेंद के बर्ताव के हिसाब से रणनीति बनाएं : शोएब अख्तर हों या शेन वॉर्न, किसी भी गेंदबाज का सामना करने के लिए तेंदुलकर पूरी तैयारी के साथ उतरते थे और उन्होंने नेट सत्र के लिए भारतीय बल्लेबाजों को टिप्स भी दिए। उन्होंने सुझाव दिया कि बल्लेबाजों को नेट पर अलग-अलग तरह की गेंदों के साथ अभ्यास करने की जरूरत है। नई गुलाबी गेंद, 20 ओवर पुरानी गुलाबी गेंद, 50 ओवर पुरानी गुलाबी गेंद और 80 ओवर पुरानी गेंद। देखना होगा कि नई गेंद, थोड़ी पुरानी और पुरानी गेंद किस तरह बर्ताव करती है। इसके अनुसार अपनी रणनीति बनाओ। इस साल दलीप ट्रॉफी डे-नाइट नहीं होने के कारण तेंदुलकर ने भारतीय टीम से अपील की कि वह उन सभी खिलाडि़यों से सुझाव लें जो पिछले तीन साल इस प्रतियोगिता में खेले। दलीप ट्रॉफी मैच दूधिया रोशनी में खेले गए थे। उन्होंने कहा कि भारतीय लड़कों को उन सभी खिलाडि़यों से भी सलाह लेनी चाहिए जो दलीप ट्रॉफी में खेले और उनके पास साझा करने के लिए कुछ चीजें होनी चाहिए।
अपने दिनों को किया याद : तेंदुलकर ने 1991-92 के अपने पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे को भी याद किया जहां पांच टेस्ट मैचों के बीच में त्रिकोणीय सीरीज (भारत, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच) का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि हमने लाल गेंद से शुरुआत की, इसके बाद सफेद गेंद से खेले और फिर दोबारा लाल गेंद से क्रिकेट खेला। यह मेरे लिए नई चीज थी क्योंकि मैं सफेद गेंद से काफी नहीं खेला था। तेंदुलकर ने कहा कि मैं बहुत कम (नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक वनडे) खेला था इसलिए लाल गेंद से सफेद गेंद में सामंजस्य बैठाने की जरूरत पड़ी। मैं कह सकता हूं कि गुलाबी गेंद के खिलाफ खेलने से निश्चित तौर पर कुछ अलग महसूस होगा।
स्पिनरों के लिए होगी मुश्किल : एक अन्य पहलू यह है कि गुलाबी गेंद के रंग को बरकरार रखने के लिए पिच पर कम से कम आठ मिलीमीटर घास छोड़नी होगी। तेंदुलकर ने कहा कि बेशक इससे तेज गेंदबाजों को अधिक मदद मिलेगी लेकिन अगर आपके पास स्तरीय स्पिनर हैं तो वह भी इस तरह की पिच पर गेंदबाजी का तरीका खोज सकता है। स्पिनर के लिए यह आकलन करना महत्वपूर्ण होगा कि सतह से कितना उछाल मिल रहा है और गेंद कितनी स्किड कर रही है।