नई दिल्ली। भारतीय टीम के दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह लंबे समय से भारतीय टीम से बाहर चल रहे हैं। हालांकि, इस बीच वे लगातार आइपीएल जरूर खेल रहे हैं, लेकिन बाकी घरेलू टूर्नामेंटों से वे दूरी बनाए रखते हैं और बतौर कॉमेंटेटर वे क्रिकेट से जुड़े रहते हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि इंडियन प्रीमियर लीग यानी आइपीएल का आने वाला सीजन उनका आखिरी सीजन होगा। खुद भज्जी भी इस बात को स्वीकार करते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि ये उनकी फिटनेस तय करेगी।
आइपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वालों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर विराजमान हरभजन सिंह ने 160 आइपीएल मैचों में 150 विकेट हासिल किए हैं। भज्जी ने कहा है कि ये उनका शरीर फैसला करेगा कि ये उनका आखिरी आइपीएल होगा या नहीं। हरभजन ने पीटीआइ से बात करते हुए कहा है, “मैं यह नहीं कह सकता कि क्या यह मेरा आखिरी आइपीएल होगा। यह मेरे शरीर पर निर्भर करता है। चार महीने की कसरत, आराम, योग सत्र के बाद मैं 2013 की तरह ही फिर से सशक्त महसूस करता हूं, जब मैंने आइपीएल संस्करण में 24 विकेट चटकाए थे।”
हरभजन ने 2018 में चेन्नई सुपर किंग्स में शामिल होने से पहले चार बार की आइपीएल चैंपियन मुंबई इंडियंस (2008-2017) के साथ 10 सीज़न बिताए थे। उन्होंने वास्तव में 2011 में मुंबई इंडियंस को बतौर कप्तान चैंपियंस लीग का खिताब भी दिलाया था। हरभजन सिंह जो टेस्ट हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज हैं, वो बिना घरेलू क्रिकेट खेले अपने अनुभव के दम पर आइपीएल में अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
आइपीएल के लिए घरेलू क्रिकेट नहीं खेलना अधिकांश क्रिकेटरों के लिए चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन हरभजन के अनुभव के आगे सबकुछ गलत साबित हो जाता है। उन्होंने कहा है, “हर किसी का अपना एक रवैया होता है। अगर किसी को लगता है कि इस मुकाबले के लिए समय चाहिए, तो उसके लिए अच्छा है। अगर मैं एक महीने के लिए नेट्स पर 2000 गेंदें फेंकता हूं, तो समझो मैंने उच्च स्तरीय क्रिकेट खेली है और यह काफी अच्छा है।”
हरभजन ने भारत के लिए 103 टेस्ट, 236 वनडे और 28 T20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। भारत के लिए उन्होंने आखिरी मैच 2016 के मार्च में संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ एशिया कप में खेला था। अनिल कुंबले और कपिल देव के बाद हरभजन सिंह 417 विकेट के साथ टेस्ट में भारत के तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं।
अपने करियर में लगातार क्रिकेट से जुड़े रहने को लेकर भज्जी ने कहा है, “वह हर दिन एक परीक्षा की तरह था। बहुत सारे पेपर अच्छे हो गए और मुझे अच्छे अंक मिले और कुछ मैंने उतने अच्छे नहीं किए जितना कि मुझे अच्छा लगा होगा। यह एक बेहतरीन समय था। जब आप भारत के लिए सक्रिय रूप से खेलते थे, तो आप कभी भी अच्छे प्रदर्शन का जश्न नहीं मना सकते थे, क्योंकि कहीं न कहीं आप के लिए एक और नई चुनौती खड़ी रहती थी।”