नई दिल्ली। चीनी सेना के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ को लेकर जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में चीन के खिलाफ लामबंदी की सुगबुगाहट हो रही है उसको लेकर बीजिंग की बेचैनी बढ़ रही है। इसका पता नई दिल्ली में चीन के दूतावास की तरफ से जारी एक बयान से चलता है। यह बयान सोमवार को जारी किया गया और इसका कोई संदर्भ नहीं दिया गया है लेकिन इसके पीछे की मंशा बखूबी समझी जा सकती है। चीन ने इसमें एक तरह से भारत को सलाह दी है कि उसे अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बरकरार रखनी चाहिए और इस बारे में इतिहास के पहिये को पीछे ले जाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
पूर्वी लद्दाख सीमा पर हालात को वैश्विक समीकरण से जोड़ कर देखने की कोशिश
इस बयान में चीन ने परोक्ष तौर पर अमेरिका पर दुनिया को शीत युद्ध के नजरिये से देखने का आरोप लगाया है। कहने की जरूरत नहीं कि चीन पूर्वी लद्दाख सीमा पर मौजूदा स्थिति को वैश्विक मंच पर बन रहे समीकरणों से जोड़ कर देख रहा है।
अमेरिका चीन को शीत युद्ध मानसिकता से देखता है: चीनी दूतावास
चीन के दूतावास की तरफ से जारी बयान में शुरुआत अमेरिका के चीन विरोधी बयानों से की गई है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका चीन को शीत युद्ध की मानसिकता से देखता है। अमेरिका खुद ही अंतरराष्ट्रीय संधियों, संगठनों व अंतरराष्ट्रीय कानूनों से भागता रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय जानता है कि कौन सही मायने में समस्या पैदा करने वाला है। दूसरी तरफ चीन अंतरराष्ट्रीय कायदे कानून को मानने वाला है। मजबूत होने के साथ चीन अपनी ताकत स्थापित करने के बजाये शांतिपूर्ण विकास व सभी देशों की भलाई के लिए सहयोग पर जोर दे रहा है।
इतिहास के पहिये को पीछे की तरफ ले जाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए
भारत दुनिया का एक उभरता हुआ अर्थव्यवस्था है और स्वायत्त रणनीति को मानता रहा है। चीन व भारत को एक साथ इतिहास के पहिए को पीछे की तरफ ले जाने की कोशिश और एकछत्र राज स्थापित करने वाले ताकतों का विरोध करना चाहिए। हमें जनतंत्रीकरण व अंतरराष्ट्रीय संबंधों के कानून सम्मत बनाने पर जोर देना चाहिए।
अमेरिका के साथ भारत के मजबूत होते रिश्तों पर चीन की है पैनी नजर
इस बयान से कुछ दिन पहले जब एक अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत किसी भी तरह के धुव्रीकरण के खिलाफ है और दुनिया में एक साथ कई तरह की शक्तियां काम करेंगी तो भी इसका चीन ने स्वागत किया था। साफ है कि चीन भारत को यह संदेश देना चाहता है कि हाल के दिनों में अमेरिका के साथ उसके मजबूत होते रिश्ते या दूसरे देशों के साथ प्रगाढ़ होते रणनीतिक संबंधों पर उसकी पैनी निगाहें है और चीन इन गतिविधियों को सही तरह से नहीं ले रहा है।