नई दिल्ली। लद्दाख में वास्तिवक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण को लेकर जारी तनातनी के बीच चीनी सैनिकों के कुछ पीछे हटने को भारत, शनिवार को इस गतिरोध पर होने जा रही अहम बैठक के ठीक पहले एक सकारात्मक पहल मान रहा है।
उल्लेखनीय है लद्दाख में एलएसी पर चीन के अतिक्रमण के विवाद को सुलझाने के लिए शनिवार को दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारियों के बीच बैठक होने वाली है। रक्षा सूत्रों की मानें तो गतिरोध दूर करने के लिहाज से 6 जून की इस बैठक के लिए माहौल बेहतर बनाने की ज्यादा जिम्मेदारी चीन की है।
चीनी सेना के कुछ दूर पीछे हटने की पहल इसी दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। दोनों देशों के शीर्ष स्तर के सैन्य अधिकारियों की यह बैठक चीन के चुशूल इलाके में प्रस्तावित है। हालांकि आधिकारिक तौर पर रक्षा मंत्रालय और सेना की ओर से चीनी सैनिकों के पीछे हटने के कदम के बारे में अभी कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
सेना की ओर से बरती जा रही है सतर्कता
एलएसी पर अतिक्रमण को लेकर वैसे भी रक्षा मंत्रालय रणनीतिक सर्तकता के तहत बयान देने से परहेज करता रहा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एक टीवी चैनल से चीनी सैनिकों के एलएसी का अतिक्रमण कर भारतीय क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या में आने की बात कही तो अगले ही दिन सरकार ने पीआइबी के जरिये इसका खंडन कर दिया। ऐसे में शनिवार की बातचीत की दिशा के संकेत सामने आने तक सेना की ओर से भी रणनीतिक सर्तकता बरती जा रही है।
डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता को किया खारिज
वैसे एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं का एक दूसरे के इलाके में अतिक्रमण कोई नई बात नहीं है। फर्क इतना है कि चीनी सैनिक बड़ी संख्या में इस बार ज्यादा अंदर तक आ गए हैं। लेकिन इस तनातनी में दूसरा सकारात्मक पहलू यह है कि चीन और भारत दोनों ने बातचीत से तनाव घटाने व गतिरोध दूर करने के अपने मेकेनिज्म पर भरोसा जताया है। दोनों देशों ने तीसरे पक्ष के तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को खारिज कर दिया था।
चीन ने तिब्बत में सैन्य अभ्यास कर अपनी सेना को अचानक लंबे समय बाद गलवन घाटी में भारी संख्या में तैनात की। साथ ही उसने पैंगोंग त्सो लेक के उत्तरी किनारे पर फिंगर एरिया में भी अपने सैनिकों को उतार दिया है। इसके जवाब में ही भारत ने भी गलवन घाटी में बड़ी तादाद में अपने सैनिकों को चीनी सैनिकों के सामने तैनात कर दिया। चीन ने लद्दाख के पैट्रॉल पॉइंट 14 और दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली सड़क निर्माण को रोकने के मकसद से यह चालबाजी की है। इसके बावजूद भारत ने सड़क निर्माण रोकने से इनकार कर दिया है।