भोपाल : दमोह विधानसभा सीट के उपचुनाव में अपेक्षाकृत कम मतदान होने से चुनावी पंडितों का अनुमान गड़बड़ा गया है। दोनों प्रमुख राजनीतिक भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने-अपने तराजू से नफा-नुकसान तौल रहे हैं। कम मतदान को कांग्रेस अपने पक्ष में देख रही है जबकि वो पिछले आम चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढऩे के कारण चुनाव जीती थी। उपचुनाव में महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में बड़ी गिरावट हुई है। भाजपा को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लोकप्रिय चेहरे पर भरोसा है। मतदाताओं का फैसला ईवीएम में बंद हो चुका है जो 2 मई को बाहर आएगा।
ये है वोटिंग प्रतिशत :
दमोह विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए 17 अप्रैल को वोट डाले गए, कुल वोटिंग 59.81 प्रतिशत रहा। क्षेत्र में लगभग दो लाख चालीस हजार वोटर हैं। कुल महिला वोटरों की संख्या एक लाख पंद्रह हजार चार सौ पचपन है। इसमें कुल साठ हजार सात सौ सत्तर ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। महिलाओं और पुरूषों के पोलिंग पर्सेंट में चौदह प्रतिशत का अंतर परिणाम रहा यानी महिलाओं ने पुरुषों से कम मतदान किया। विधानसभा के आम चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर राहुल लोधी ने यह सीट 789 वोटों के अंतर से जीती थी।
कांग्रेस को कम वोटिंग में दिखा नफा :
कांग्रेस इस कम वोटिंग प्रतिशत को अपने चुनावी नफे के रुप में देख रही है। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि इस चुनाव में भाजपा के वोटर ने वोट नहीं डाली क्योंकि वो सरकार से नाराज है। कोरोना संक्रमण की बिगड़ती स्थिति में सरकारी नाकामी से गुस्सा भाजपा का वोटर घर से ही नहीं निकला। वहीं जो वोटर निकला है वो कांग्रेस का था जिसने पार्टी के पक्ष में वोट किया है इसलिए कम वोटिंग में कांग्रेस की जीत तय है।
भाजपा को जीत का भरोसा :
वहीं कम वोटिंग होने का भाजपा का अपना अनुमान है। भाजपा के प्रदेश संवाद प्रमुख लोकेंद्र पाराशर कहते हैं कि कोरोना के कारण कम लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकले हैं। भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता ही घर से बाहर निकला है जिसने पार्टी के पक्ष में मतदान किया है इसलिए कम वोटिंग के बाद भी भाजपा उम्मीदवार की ही जीत ईवीएम में बंद हुई है।