तीसरा मोर्चा ने अपने प्रत्याशियों पर जमाई नजरें, संपर्क में हैं संगठन पदाधिकारी

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भोपाल। मध्य प्रदेश के 28 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव का प्रचार थमने के बाद तीसरा मोर्चा अपने प्रत्याशियों को लेकर सतर्क हो गया है। प्रदेश की सत्ता बनने-बिगड़ने के लिए हो रहे उपचुनाव की महत्ता को देखते हुए संगठन के पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं। पार्टी में टूट की आशंका को दूर रखने के लिए प्रत्याशियों से सतत संपर्क किया जा रहा है।

मालूम हो कि इस समय प्रदेश में तीसरा मोर्चा के नाम पर बसपा ही प्रमुख है। पार्टी ने सभी 28 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। उधर, समाजवादी पार्टी के दो प्रत्याशियों के मैदान से हटने के बाद 12 लोग मैदान में हैं। इनका प्रभाव सीमित है। सपाक्स पार्टी की उपस्थिति भी औपचारिक है।

ग्वालियर-चंबल संभाग में बहुजन समाज का बसपा की ओर आकषर्षण देख संगठन पदाधिकारी इस बारे में सचेत हैं और प्रत्याशियों से फीडबैक और आवश्यकता पूछने के साथ इस बात पर भी नजर रख रहे हैं कि विरोधी पार्टी के लोगों से उनका संपर्क न हो सके।

समर्पित हैं हमारे प्रत्याशी

बसपा के नेताओं का दावा है कि सभी प्रत्याशी पार्टी के प्रति समर्पित हैं और टूट की कोई आशंका नहीं है। हालांकि दबी जुबान में वे स्वीकार करते हैं कि अब अंतिम समय में कुछ हो जाए तो क्या कह सकते हैं। उधर, निर्दलियों की मान-मनौवल की खबरें भी आ रही हैं। चुनाव प्रचार के दौरान कुछ हजार वोटों के लिए दमखम दिखाने वाले निर्दलियों पर जीत-हार के समीकरण को लेकर अन्य दल सक्रिय हैं।

इसलिए बसपा का है महत्व

बसपा के प्रत्याशियों को चुनाव नहीं लड़ने को लेकर कांग्रेस का आग्रह है, क्योंकि बसपा के मैदान में होने से अनुसूचित जाति/जनजाति के वोट बंट सकते हैं। यदि कोई प्रत्याशी मैदान से हटा तो कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है। वहीं, भाजपा इन्हें मैदान में दमखम से उतारना चाहती है क्योंकि इनके मैदान में होने से बहुजन समाज के साथ कुछ हद तक मुस्लिम समुदाय के वोट कांग्रेस से कटने का अनुमान है।