भोपाल। कोरोना संकट के कारण तीन महीने के लॉकडाउन ने मध्य प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया है। अब तक मध्य प्रदेश को विभिन्न मदों में अनुमानित साढ़े 22 हजार करुोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व नुकसान हो चुका है। पेट्रोल-डीजल की कम खपत से, शराब दुकानें बंद होने के कारुण सरकार को हजारों करुोड़ का नुकसान झेलना पड़ रुहा है। इसी तरह उद्योग-धंधे बंद होने से जीएसटी सहित तमाम अन्य टैक्स में भी भारी कमी आई है। यह कमी अगले तीन महीने तक बरकरार रुहने की आशंका है।
आने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार को पूर्ण बजट पेश करना है। इससे सरकार के बजट संतुलन पर भी असर पड़ सकता है। मुफ्तखोरी की इजाजत नहीं अब सरकार का खजाना इजाजत नहीं दे रहा है कि सस्ती और रियायती बिजली पर 18 हजार करोड़ रुपये की सबसिडी का भारी भरकम खर्च झेला जाए पर वोटों की मजबूरी के चलते सरकार इस भारी-भरकम बोझ को जारी रखेगी।
जीएसटी में आई गिरावट से प्रदेश को हुआ भारी नुकसान
सरकार को उम्मीद है कि केंद्र द्वारा दिए जाने वाले राहत पैकेज का कुछ हिस्सा प्रदेश की बिजली कंपनियों को मिल जाएगा। जीएसटी में भी गिरावट मप्र के हिस्से में आने वाले जीएसटी में भी भारी नुकसान हुआ है। पिछले साल के चार हजार करोड़ रपये प्रदेश को अब तक नहीं मिले और लॉकडाउन के कारण चार हजार करोड़ का और नुकसान उठाना पड़ेगा।
आबकारी और पेट्रोल-डीजल से भी बड़ा नुकसान प्रदेश के खजाने को सबसे ज्यादा आमदनी आबकारी और पेटोल-डीजल से होती है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पेटोल-डीजल की खपत में कमी के कारण तीन महीने में पांच हजार करोड़ रपये का राजस्व नुकसान हुआ है। वहीं शराब दुकानें बंद होने से तीन हजार करोड़ रपये की आय कम हुई है।
टैक्स कलेक्शन तो बढ़ेगा लेकिन भरपाई संभव नहीं : राघवजी
पूर्व वित्त मंत्री राघवजी कहते हैं कि अन्य राज्यों सहित केंद्र सरकार के खजाने की हालत भी अच्छी नहीं है। लॉकडाउन का असर उद्योग-धंधों सहित व्यापार-रोजगार सब पर पड़ा है। इस कारण टैक्स कलेक्शन कम हो रहा है। मप्र सरकार स्वीकार कर रही है कि 22 हजार करोड़ रपये से ज्यादा का राजस्व नुकसान हो चुका है। इसी कारण पेट्राल-डीजल, शराब, पंजीयन सभी पर टैक्स की दरें बढ़ाई गई हैं। नुकसान की भरपाई तो होगी पर पूरा कवर नहीं किया जा सकता है। कुछ बड़े खर्च में केंद्र मदद कर रहा है। केंद्र के विशेष पैकेज से जो उद्योगों को लोन मिलेगा, उसका लाभ मिलेगा। स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज फिर खड़ी हो जाएंगी। मनरेगा में मजदूरों को काम मिलेगा तो बाजारों की हालत सुधरेगी। अब तक प्रदेश को हुआ नुकसान जीएसटी- 4000 करोड़ (पिछला बकाया) पेट्रोल-डीजल- 5000 करोड़ आबकारी (शराब): 3000 करोड़ खनिज- 1000 करोड़ सिंचाई – 500 करोड़ ऊर्जा- 3000 करोड़ परिवहन- 1000 करोड़ पंजीयन- 1000 करोड़ इसके अलावा अन्य मदों में भी बड़ा नुकसान हुआ है। (आंकड़े रपये में)