बिजनेसमैन और बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज की केंद्र की मोदी सरकार पर टिप्पणी के बाद अब पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी शासनकाल के दौर में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए वह कांग्रेस नेताओं से संपर्क किया करती थीं. खुद से कुछ कहने की जगह कांग्रेसी नेताओं का सहारा लेती थीं.
इंदौर से 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन ने कहा कि वह मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली बीजेपी के शासनकाल में महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुद से कुछ नहीं कह सकती थीं क्योंकि राज्य में उनकी ही पार्टी की सरकार थी. पिछले साल विधानसभा चुनाव में मिली हार से पहले लगातार 15 साल तक राज्य में बीजेपी की सरकार थी.
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री सुमित्रा महाजन ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में जब शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली बीजेपी सत्ता में थी, तब अहम मुद्दों को लेकर मैं चुप रहती थी क्योंकि यह मेरी ही पार्टी (बीजेपी) की सरकार थी. मुझे लगता था कि इंदौर की जनता के हित के लिए कुछ मुद्दों को उठाना चाहिए तो मैं कांग्रेस के नेताओं का सहारा लेती थी.’
पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वह यह कहते हुए दिख रही हैं कि अपनी सरकार के खिलाफ मैं नहीं बोल सकती थी.
मध्य प्रदेश के राज्यपाल की मौजूदगी में सुमित्रा महाजन ने राज खोलते हुए कहा, ‘मेरी सरकार के खिलाफ मैं नहीं बोल सकती थी. कोई बात उठाने के लिए मैं जीतू पटवारी और तुलसी सिलावट को धीरे से कहती थी कि तुम करो कुछ.’ महाजन ने आगे कहा कि जीतू पटवारी में मेरा शिष्य बनने के सभी गुण हैं. सब इंदौर का भला चाहते हैं. पार्टी अपनी जगह है.
दरअसल, यह पूरा मामला रविवार का है, जब शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने अपने घर में एक संवाद का कार्यक्रम रखा था. जिसमें मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन और जीतू पटवारी के साथ मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे. सुमित्रा महाजन ने बातों-बातों में यह राज खोला कि हम सब का काम विकास करना है.
कार्यक्रम में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, ‘जब इंदौर का विकास हम करने निकलते हैं तो हम पार्टी पॉलिटिक्स नहीं करते हैं. हम सोचते हैं कि अपने शहर का भला हमें करना है. यह मेरा अनुभव है. जीतू भैया तो अब मंत्री हैं, अगर जीतू भैया हो या तुलसी हो ये लोग ऐसे हैं कि अगर ये मेरी सरकार है तो मेरी सरकार के खिलाफ मैं नहीं बोल सकती, लेकिन मुझे लगता था कि इसके लिए कुछ होना चाहिए, मेरे इंदौर के लिए ये जरूरी होता है तो मैं धीरे से उनको बोल देती थी कि तुम करो कुछ, माफ करना आज ये बोल रही हूं कि भैया करो कुछ, फिर मैं देख लूंगी. ऊपर तक बात करूंगी ‘शिवराज’ से बात करूंगी, सब करूंगी लेकिन इस विषय को उठाओ और इन्होंने हमेशा मेरी बात मानी.’