Chhattisgarh Local Edit: युवाओं को शीघ्र लगे टीका

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर ने बड़ी संख्या में लोगों को न केवल संक्रमित किया, बल्कि मौतों की संख्या ने भी कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया। इतना ही नहीं, इस बार सर्वाधिक मौतें युवाओं की हो रही हैं। इसके बावजूद प्रदेश में पहली मई से 18 से 44 साल तक की उम्र के लोगों के कोरोनारोधी टीकाकरण पर ग्रहण लग गया है।

प्रदेश सरकार ने युवाओं को निश्शुल्क टीका लगवाने की घोषणा कर रखी है। अब जब केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल 45 साल से ऊपर लोगों को ही टीकाकरण के लिए निश्शुल्क वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी तो राज्य सरकार ने भी अपने वादे और घोषणा के अनुरूप युवाओं के टीकाकरण के लिए तैयारी शुरू कर दी है।

राज्य सरकार ने कोरोनारोधी वैक्सीन खरीदने के लिए कोवैक्सीन बनाने बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और कोविशिल्ड बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट को 25-25 लाख डोज का आर्डर दिया है। सरकार के आर्डर के बाद भारत बायोटेक ने स्पष्ट कर दिया है कि वह तीन महीने बाद ही वैक्सीन की आपूर्ति कर सकती है। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह कब तक वैक्सीन की आपूर्ति कर देगी।

उधर केंद्र सरकार ने घोषणा कर रखी है कि देश भर में पहली मई से सभी बालिगों का टीकाकरण शुरू होगा। साथ ही बालिगों के टीकाकरण का खर्च राज्य सरकारें वहन करेंगी। केंद्र की इस घोषणा के बाद वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों को राज्य सरकारों को वैक्सीन देने की कीमत भी तय कर दी है। हालांकि यह कीमत केंद्र सरकार को आपूर्ति की जा रही वैक्सीन की दर से लगभग दो गुनी है।

जब राज्य सरकारों ने भी बालिगों को निश्शुल्क टीकाकरण की घोषणा करते हुए इन कंपनियों को आर्डर दिए तो दोनों कंपनियां समय पर आपूर्ति करने में असमर्थता जता रही हैं। हालांकि सरकार ने वैक्सीन उत्पादक कंपनियों से उत्पादन बढ़ाने को कहा है। प्रदेश के सभी बालिगों को वैक्सीन लगाने के लिए लगभग 150 से 200 करोड़ डोज की आवश्यकता होगी। मगर जिस प्रकार से कंपनियों ने समय पर आपूर्ति से हाथ खड़े किए हैंं।

इसको देखकर लगता निर्धारित तिथि पर प्रदेश में बालिगों का टीकाकरण शुरू होना असंभव है। अगर समय पर टीकाकरण शुरू नहीं होता है तो निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने में काफी लंबा समय लग जाएगा। कोरोना अपने रौद्र रूप में है। ऐसे समय में किसी भी प्रकार की देरी घातक हो सकती है, इसलिए वैक्सीन उत्पादक कंपनियां, केंद्र और राज्य सरकार को चाहिए कि ऐसी व्यवस्था करें, जिससे युवाओं को शीघ्र रटीका लगाया जा सके।