ओबीसी आरक्षण के लिए सरकार खड़ा करेगी नामी वकील, अंतिम सुनवाई के लिए याचिका

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भोपाल. प्रदेश सरकार ने ओबीसी – आरक्षण को लेकर गुरुवार को मंथन किया। तय किया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में 27% ओबीसी आरक्षण के लिए नामी बकीलों को हायर करेगी। प्रकरण में अंतिम सुनवाई के लिए याचिका भी लगा दी गई है। यह मंथन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओबीसी वर्ग के मंत्रियों, विधायकऔर एडवोकेट जनरल पुरूषेंद्र कौरव की टीम के साथ किया। एडवोकेट जनरल ने बताया कि 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है कि अगली सुनवाई अंतिम सुनवाई के रूप में की जाए।

अब तीन स्तर पर मोर्चा
बैठक में तय हुआ कि ओबीसी आरक्षण को लेकर तीन स्तर पर मोर्चा संभाला जाए। पहला, कोर्ट में नामी वकील कर केस को मजबूती से लड़ें। दूसरा, प्रशासनिक स्तर पर स्टडी करके कदम उठाने पर जोर। तीसरा, जनता के बीच मंत्री-नेता भाजपा के हितैषी कदम बताएं।

कांग्रेस पर यूं बरसे ओबीसी नेता
एडवोकेट जनरल ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने तब कैविएट नहीं लगाई थी। इस पर ओबीसी मंत्रियों ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का सुझाव दिया। मंत्री कमल पटेल ने कहा कि जनता के बीच ये बताया जाए कि छोटी-छोटी बातों पर कैविएट लगाने वाली कांग्रेस ने इसे क्यों नहीं लगाया था। मंत्री मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस का ओबीसी वर्ग से धोखा जनता को बताना चाहिए।

सिंधी खत्री जाति को ओबीसी में शामिल जा सकता है या नहीं?
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि सिंधी खत्री जाति को ओबीसी की सूची में शामिल किया जा सकता है या नहीं? याचिका सागर के कोमल सिंधी खत्री की से दायर की गई है। इसमें कहा है केंद्र के आयोग ने 1999 में अनुशंसा की थी कि सिंधी खत्री समाज के रंगरेज छीपा जाति के अंतर्गत हैं, ओबीसी में हैं। केंद्र ने सूची में वर्ष 2000 में स्पष्टीकरण जारी कर दिया, यह राज्य की सूची में नहीं है।