छत्तीसगढ़ कोरोना के चंगुल में त्राहि-त्राहि कर रहा, अन्य राज्यों के मुक़ाबले संक्रमण की सबसे ज़्यादा मार सह रहा: भाजपा

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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कोरोना संक्रमण के मामले में छत्तीसगढ़ की बदहाली को लेकर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार के निठल्लेपन के चलते छत्तीसगढ़ आज कोरोना महामारी के चंगुल में त्राहि-त्राहि कर रहा है और प्रदेश सरकार सियासी नौटंकियाँ कर प्रदेश का ध्यान भटकाने में लगी है। श्री उपासने ने कहा कि देश के ही अन्य कई राज्यों के मुक़ाबले कोरोना संक्रमण की सबसे ज़्यादा मार छत्तीसगढ़ सह रहा है।

असम, बिहार, झारखंड और केरल के साथ छत्तीसगढ़ के आँकड़ों का तुलनात्मक ब्योरा रखकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने बताया कि असम में 2.77 करोड़ की आबादी में 30,108 एक्टिव केस हैं और 594 मौतों के साथ मृत्यु दर 02.00 है। बिहार में 10.4 करोड़ की आबादी में 13, 536 एक्टिव केस हैं और 876 मौतों के साथ मृत्यु दर 00.80 है। झारखंड की 3.3 करोड़ की आबादी में 13,280 एक्टिव केस हैं और 656 मौतों के साथ मृत्यु दर 02.00 है। केरल में 3.34 करोड़ की आबादी में 41, 552 एक्टिव केस हैं और 591 मौतों के साथ मृत्यु दर 01.77 है। इन राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ की 2.55 करोड़ की आबादी में 38,198 एक्टिव केस हैं और 718 मौतों के साथ मृत्यु दर 02.81 है। श्री उपासने ने कहा कि ये आँकड़े यह स्पष्ट कर रहे हैं कि प्रदेश सरकार कोरोना को लेकर पूरी तरह लापरवाह है। डीएमएफ फंड की 580 करोड़ रुपए की राशि कोरोना की रोकथाम में ख़र्च करने की अनुमति मिलने के बाद भी प्रदेश सरकार यह राशि ख़र्च नहीं कर रही है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि राजनीतिक नियुक्तियां करने, कांग्रेस भवन बनवाने, बिना बज़ट विधानसभा भवन के भूमिपूजन, हज हाउस के भूमिपूजन जैसे कामों के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रदेश की आर्थिक स्थिति की परवाह नहीं रहती, लेकिन कोरोना की रोकथाम के उपायों पर संज़ीदा होने के बजाय प्रदेश सरकार आर्थिक तंगी का रोना रोने बैठ जाती है। प्रदेश के क्वारेंटाइन व कोविड सेंटर्स की बदइंतज़ामी व बदहाली की चर्चा करते हुए श्री उपासने ने कोरोना टेस्टिंग पर भी सवाल उठाए और कहा कि प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट कितने दिनों में मिलेगी और यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो जिसमें टेस्टिंग और रिपोर्ट मिलने की तारीख़ें दर्शाई जाए। श्री उपासने ने कहा कि जन्मदिन मनाकर वक़्त जाया कर चुकी राज्य सरकार अब कृषि विधेयकों के विरोध में आंदोलन करके अपनी निकम्मी और नाकारा साबित हो चली कार्यप्रणाली से ध्यान भटकाने में लगी है।