छत्तीसगढ़ में गुरुवार से शुरू हुए तीन दिवसीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई राज्यों के दिग्गज कांग्रेस नेताओं को आमंत्रित किया गया था। इनमें कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन केसी वेणुगोपाल से लेकर प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, अधीर रंजन चौधरी, रणदीप सिंह सूरजेवाला, बीके हरिप्रसाद और भक्त चरणदास शामिल थे।
कार्यक्रम में वेणुगोपाल और अधीर रंजन चौधरी भले ही शामिल नहीं हुए, लेकिन कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पत्र भेजकर भूपेश सरकार को शुभकामनाएं दी है। दरअसल, प्रदेश में ढाई-ढाई साल के फार्मूले के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए घमासान चल रहा है। ऐसे समय में छत्तीसगढ़ के नेताओं, मंत्रियों और विधायकों को एक मंच पर लाकर सीएम भूपेश बघेल ने प्रदेश की राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। इतना ही नहीं, इस आयोजन के बहाने वे छत्तीसगढ़ की सियासत में अपना रसूख दिखाने में कामयाब रहे।
मंच पर नहीं दिखे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो पार्टी के दिग्गज नेता चुनावी समर में ही एक साथ, एक मंच पर नजर आते हैं। लेकिन सीएम बघेल ने आदिवासी नृत्य महोत्सव के बहाने सभी नेताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया। यह बात अलग है कि मंच पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव नहीं दिखे। भूपेश ने कांग्रेस नेताओं को एकजुट दिखाने की शुरुआत एक महीना पहले ही कर दी गई थी, जब विधायकों को अन्य राज्यों में महोत्सव का न्योता सौंपने के लिए भेजा गया था।
आदिवासी महोत्सव के मंच पर सीएम बघेल एक सधे हुए नेता के रूप में नजर आए। हेमंत सोरेन के साथ इंटरव्यू फार्मेट में चर्चा करके सुर्खियां बटोरी, तो विश्व में छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को पहुंचाने का काम भी किया। दरसअल, वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बस्तर और सरगुजा के आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा को करारी हार मिली थी। ठीक इसी तरह झारखंड में भी आदिवासी वोटरों ने हेमंत सोरेन पर भरोसा जताया। यही कारण है कि राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव के मंच से सोरेन ने कहा, आज भौतिकवादी युग में जनजातीय समाज अपनी सभ्यता, संस्कृति को बचाने में लगा है। छत्तीसगढ़ सरकार के इस कार्यक्रम को देखकर यह महसूस हो रहा है कि इससे जनजाति वर्ग में आशा जगेगी। इससे उन्हें ताकत और ऊर्जा मिलेगी। वह अपनी संस्कृति और सभ्यता को अक्षुण्ण रखेंगे।
आदिवासी विधायक कंधे से कंधा मिलाकर चले बघेल के साथ
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आदिवासी समाज और नेताओं को मजबूत संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता हमारी ताकत और पहचान है। इसे जोड़ने और संजोने के लिए विश्व के आदिवासियों को एक मंच पर लाने की कोशिश की गई है, ताकि वह संस्कृति और अपनी ताकत को जानें और आगे बढ़ें। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर जो नेता बघेल को चुनौती दे रहे हैं, उनकी सरगुजा में दखल है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में सरगुजा के विधायकों का समर्थन सीएम बघेल के साथ है। मंच पर भी सरगुजा के विधायकों की मौजूदगी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि वे सीएम बघेल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं।