भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रच दिया। उत्साह से लबरेज राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी का अभियान यहीं नहीं रुकने वाला है। एजेंसी अगले महीने आदित्य-एल1 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी में जुटी है। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रच दिया। उत्साह से लबरेज राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी का अभियान यहीं नहीं रुकने वाला है। एजेंसी अगले महीने आदित्य-एल1 मिशन को लॉन्च करने की तैयारी में जुटी है। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है।
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब दुनिया की नजर आदित्य-एल1 मिशन पर होगी। आदित्य-एल1 क्या है? मिशन के उद्देश्य क्या हैं? मिशन के घटक कौन-कौन से हैं? इसे कब लॉन्च किया जाएगा? सूर्य का अध्ययन क्यों जरूरी है? आइये समझते हैं…
ISRO Aditya L1 Mission Launch Date
ISRO Aditya L1 Mission Launch Date – फोटो : Istock
पहले जानते हैं आदित्य-एल1 क्या है?
आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। दरअसल, लैग्रेंजियन बिंदु वे हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है।
सूर्य का अध्ययन जरूरी क्यों?
सूर्य निकटतम तारा है और इसलिए अन्य तारों की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। इसरो के मुताबिक, सूर्य का अध्ययन करके हम अपनी आकाशगंगा के तारों के साथ-साथ कई अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ जान सकते हैं। सूर्य एक अत्यंत गतिशील तारा है जो हम जो देखते हैं उससे कहीं अधिक फैला हुआ है। इसमें कई विस्फोटकारी घटनाएं होती हैं इसके साथ ही सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा भी छोड़ता है।
यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटना पृथ्वी की ओर भेजी जाती है तो यह पृथ्वी के नजदीकी अंतरिक्ष वातावरण में कई प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकती है। कई अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियां ऐसी समस्याओं का शिकार बन चुकी हैं। लिहाजा पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए ऐसी घटनाओं की प्रारंभिक चेतावनी अहम है।