अनूपपुर। सरकार भले ही शिक्षा का लोक व्यापीकरण करने के चक्कर में नई-नई योजनाएं बनाएं और लाखों करोड़ों का बजट खर्च करें, लेकिन शिक्षकों की मनमानी के कारण सारी योजनाएं धरी की धरी रह जाती है और बजट कागजों पर खर्च कर दिया जाता है। दरअसल जिले के मुख्य मागोें से सटे सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षक मुख्यालय पर न रहकर अपनी सुविधा के अनुसार अन्य स्थानों से बसों के माध्यम से स्कूल तक प्रतिदिन अप-डाउन करते है। ऐसे में जिले के 60 फीसदी सरकारी स्कूल बसों के समय से चल रहे है। अप-डाउन के समय से चल रहे है। अप डाउन के आदी शिक्षकों के चक्कर में बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है। इस कड़वी सच्चाई को देखने की न तो किसी को फुर्सत है और न ही इसे स्वीकारने का किसी संतरी या मंत्री में साहस है। इसका खामियाजा बच्चे भुगत रहे है। जिला मुख्यालय से निकले बैरीबांध-अमरकंटक की सड़कों में सटे सरकारी स्कूल हो या अन्य जगहों की स्कूलें हो सभी जगह यही व्यवस्था बनी हुई है। अन्य कस्बों के आसपास स्थित स्कूलों में भी शिक्षक अपनी सुविधा के अनुसार बसों से आते-जाते है। दोपहर बाद लौटने वाली बसों से यही शिक्षक अपने निवास स्थान की ओर जाते दिखाई देते है। अप-डाउन की इस प्रवृत्ति के बीच ग्रामीण स्कूलों में पढने वाले बच्चे पिस रहे है, जो शिक्षकों के देर से आने और कुछ समय रूक कर निर्धारित समय से पहले स्कूल से जाने के कारण परेशान है। ग्रामीण सरकारी स्कूल सही मायने में बसों आने जाने के समय से चलते है। अधिकारियों को मालूम होने के बावजूद कार्यवाही न होना समझ से परे है।