कम मतदान ने खोली भाजपा के मैनेजमेंट की पोल

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सारे दावे साबित हुए खोखले

मनोज वर्मा
मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर उत्साहित भाजपा पहले चरण में हुई कम वोटिंग से एकाएक चिंतित हो उठी है…तो कांग्रेस…पहले चरण से मिले फीडबैक को लेकर उत्साहित है….प्रदेश में अब शहर सरकार के लिए 214 निकायों की जंग बाकी है…इनमें दूसरे चरण में 13 जूलाई को मतदान होगा…इन 214 निकायों में भी सबसे ज्यादा फोकस 5 नगर निगमों पर है….इनके लिए दोनों दलों न रणनीति बदल दी है….और पहले चरण से सबक लेकर जोर वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने पर है…बीजेपी की चिंता इसलिए और बढ़ जाती है कि 11 नगर निगम सहित 133 नगरीय निकायों में पार्टी का चुनाव मैनेजमेंट का फार्मूला बेअसर साबित हुआ..मतदान के एक दिन पहले तक विधायकों, मंत्रियों और अन्य पदाधिकारियों द्वारा बनाई गई रणनीति भी सफल नहीं हो पाई…मतदान के दौरान त्रिदेव और पन्ना प्रमुख ही थे जिन्होंने पार्टी की थोड़ी बहुत लाज बचाने का काम किया…पार्टी का दस फीसदी वोट बढ़ाने का दावा हवाई ही साबित हुआ। भाजपा ने वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर जिले में विधायकों को भी तैनात किया था…सभी जिलों में हर बूथ पर पार्टी के पक्ष में 10 प्रतिशत वोट बढाने का टॉरगेट रखा गया था…बड़े शहरो में सांसद-विधायक इसके लिए डटे भी रहे…इसके बाद भी प्रदेश के सभी जिलों में औसत मतदान प्रतिशत कम ही रहा…अब दूसरे चरण के लिए दोनों दलों न रणनीति बदल दी है…दूसरे चरण को लकर इस पहलू पर भी पार्टियों ने ध्यान दिया है…दोनों दल अपने अपने वोट बैंक वाले इलाकों पर अधिक फोकस करने की सियासी रणनीति बना रहे हैं…आने वाले दिनों में पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता खुद घर घर जाकर मतदाता पर्ची को लेकर जागरुकता लाने और मतदाता पर्ची ढूंढने में मदद करेंगे…भोपाल सहित कई शहरी क्षेत्रों में पहले चरण में वोटिंग कम होने को लेकर भाजपा हाई अलर्ट पर है…पार्टी ने इसे चुनाव आयोग के स्तर की गलती मानने के साथ अब संगठन स्तर पर काम शुरु किया है…दूसरे चरण में सबसे ज्यादा फोकस ज्यादा वोटिंग कराने पर रहेगा…इसके लिए भाजपा ने अपने बूथ नेटवर्क त्रिदेव को अलर्ट कर दिया है…भाजपा ने स्थानीय स्तर पर भी चुनाव आयोग के बीएलओ से संपर्क करके मतदाताओं की मतदान पर्चियों की समस्या को हल कराना तय किया है…इसके अलावा रणनीतिक तौर पर पांचों नगर निगमों पर फोकस किया है…निकाय चुनाव के दूसरे चरण के लिए कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति में फेरबदल शुरु कर दिए हैं…पहले चरण के फीडबैक से कांग्रेस उत्साहित है…पार्टी ने भोपाल में इसे लेकर रणनीति भी बनाई है…कमलनाथ प्रचार के लिए मैदान में वापस उतर गए हैं…पार्टी ने बचे हुए निकायों में मतदाताओं को परेशानी ,डराने-धमकाने या अन्य किसी मामले में शिकायत के लिए वॉटसऐप नंबर भी जारी किया है…ताकि समस्याओं को राज्य स्तर से हल करा सके कांग्रेस उन इलाकों पर ज्यादा ध्यान देगी जहां उसका परंपरागत वैटबैंक हैं…इसके तहत ऐसे अलाकों को चयनित कर बूथ स्तर की टीम को एक्टिव किया जा रहा है…कांग्रेस का मानना है कि वह मौजूदा स्थिति में ज्यादा सीटें जीत सकती है इसलिए प्रचार में आक्रामकता से साथ डूर–टू डोर संपर्क पर ध्यान किया है…
निकाय चुनाव के पहले चरण में भी बीजेपी ने अपने त्रिदेव पर पूरा भरोसा जताया था…लेकिन फेल साबित हुआ…अब अपना बूथ मजबूत करने के लिए दूसरे चरण में भी भाजपा को अपने त्रिदेव पर पूरा भरोसा है…वही कांग्रेस गदगद है…और अब उसका सबसे ज्यादा फोकस अपने परंपरागत वोटबैंक पर है…अब ऐसे में देखना होगा कि पहले चरण में जो चुनाव आयोग स्तर पर लापरवाही हुई…उससे सबक लिया जाएगा…क्या दूसरे चरण में वोट प्रतिशत बढ़ेगा…या पहले चरण जैसी स्थिति बरकरार रहेगी…आखिर राजनीति दलों की रणनीति कितनी कारगर साबित होगी…