भोपाल। मध्य प्रदेश में ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव खत्म हो चुके…लेकिन इनके अध्यक्ष का चयन होना अभी बाकी है… जनपद अध्यक्ष जिला अध्यक्ष के साथ ही नगर परिषद और नगरपालिकाओ में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव मेंबर और पार्षद करेंगे… जनपद और जिलाध्यक्ष कि लिए चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित हो चुका है… एक हफ्ते के भीतर सभी जगह अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव संपन्न हो जाएंगे… उसके लिए जिलों में अलग-अलग तारीख तय की गई है… वही कांग्रेस और bjp ने भी अपने अपने अध्यक्ष उपाध्यक्ष बनाने के लिए जोड़ तोड़ शुरू कर दी है… इसके लिए जहां सत्तारूथ bjp ने जिला जनपदों में अध्यक्ष बनाने के लिए अपने मंत्री और विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी है… साथ ही बीजेपी पार्टी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है… तो कहीं कॉन्ग्रेस ने भी अपने पूर्ण मंत्रियों और विधायकों की फौज को मैदान में दिया है… माना जाता है कि जनपद और जिला पंचायत में जिस पार्टी का अध्यक्ष होता है… इलाके में दबदबा भी उसी पार्टी का होता है… अगले साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं… ऐसे में पंचायत और निकाय में हुए सत्ता के सेमीफाइनल के तौर पर राजनितिक दल ज्यादा से ज्यादा इलाकों में अपने अपने अध्यक्ष बिठाना चाहते हैं… ताकि अगले विधानसभा चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों में विधायकों को जिताने में आसानी हो… Bjp कांग्रेस दोनों ही दलों के स्थानीय नेता विधायक और दबंग सदस्य इसके लिए लॉबिंग में जुटे हैं… खबर है कि कई जिलों से जनपद सदस्यों को सपरिवार यात्रा पर भेजा गया है… चुनाव के दिन ही वे वापस लौटेंगे… इसी तरह दर्जनों जिला सदस्य भी संपर्क के बाहर हैं… गौरतलब है की जनपद और जिला सदस्यों का चुनाव सीधे जनता करती है… इसी तरह नगर पालिका नगर परिषद में जनता सीधे पार्षद का चुनाव करती है… लेकिन इनमें अध्यक्ष का चुनाव सदस्य और पार्षद ही बहुमत के आधार पर करते हैं… अब देखना यही होगा के जनता से सीधे कनेक्ट करने वाली इन पंचायतो और निकाय में किस पार्टी का दबदबा कायम होता है… हालांकि कांग्रेस का कहना है कि अब बीजेपी पार्टी खरीद-फरोख्त की राजनीति पर उतर आई है जिसके चलते पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए है…