ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में सोमवार को राज्य शासन ने उस जनहित याचिका का जवाब दिया जिसमें राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्ट के नाम बेशकीमती जमीन करने के आदेशों को चुनौती दी गई है। शासन का कहना है कि ये संपत्तियां निजी हैं। इनका नामांतरण करने का अधिकार शासन के पास है। याचिका में तथ्यों को छिपाया गया है। याचिकाकर्ता पर भी 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
याचिकाकर्ता को 10 दिन का समय
सरकार की ओर से कहा गया कि यदि याचिकाकर्ता को कोई आपत्ति है तो वह राजस्व कमिश्नरी में आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। हाई कोर्ट ने इस पर आपत्तियां पेश करने के लिए याचिकाकर्ता को 10 दिन का समय दिया है। बता दें कि ऋषभ भदौरिया ने हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की है।
शासन के जवाब पर आपत्ति
याचिकाकर्ता के वकील डीपी सिंह ने शासन के जवाब पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि जवाब के साथ जिन दस्तावेजों का उल्लेख किया जा रहा है, वह संलग्न नहीं है। कुछ दस्तावेज संलग्न किए हैं, उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता। याचिकाकर्ता ने कहा कि ग्वालियर सिटी सेंटर, महलगांव ओहदपुर, सिरोल के शासकीय सर्वे नंबर की जमीन को बिना वैधानिक प्रक्रिया अपनाए राजस्व अधिकारियों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्टों के नाम कर दिया है।
याचिका खारिज करने की मांग
हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान शासन से जवाब मांगा था। शासन ने अपना जवाब पेश कर याचिका को खारिज करने की मांग की है। शासन का कहना है कि सिंधिया परिवार की संपत्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से दीवानी मामला दायर करने की स्वतंत्रता मिली थी। जिला न्यायालय में दीवानी मामला भी दायर कर दिए गए हैं। याचिका को खारिज करने की गुहार लगाई।
महाधिवक्ता ने रखा पक्ष
हाई कोर्ट में मध्य प्रदेश शासन की ओर से जबलपुर से महाधिवक्ता पुरषेन्द्र कौरव, ग्वालियर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी व अंकुर मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पक्ष रखा।
इन्हें बनाया गया पक्षकार
मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव, आयुक्त लैंड रिकॉर्ड मोतीमहल ग्वालियर, संभागायुक्त ग्वालियर एवं कलेक्टर, महेंद्र प्रताप सिंह सचिव कमलाराजा चैरिटेबल ट्रस्ट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया चेरिटेबल ट्रस्ट, अनुराग चौधरी, तत्कालीन कलेक्टर व अतिरिक्त आयुक्त लैंड रिकॉर्ड।