29 मई:—- भारत में 400 से अधिक नदियां हैं। नदियों का भी देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। नदियाँ आमतौर पर पहाड़ों से निकलती हैं और अंत में समुद्र में मिल जाती हैं। हर नदी को अंततः समुद्र में जाना ही पड़ता है.. लेकिन एकमात्र नदी जो समुद्र में दिखाई नहीं देती वह है लूनी नदी। इसकी उत्पत्ति कहां से हुई अब आइए जानते हैं कि यह कहां बहती है।
राजस्थान के अजमेर से बहने वाली लूनी नदी देश की एक मात्र ऐसी नदी है जो किसी समुद्र से नहीं मिलती। लूनी नदी अरावली रेंज में नाग पहाड़ी पर 772 मीटर की ऊंचाई पर निकलती है। यह 495 किमी है। यह एकमात्र नदी है जो सीधे गुजरात तक पहुँचती है। इसके रास्ते में बड़ी मात्रा में कृषि भूमि सिंचाई प्रदान करती है। राजस्थान में यह नदी 330 किमी लंबी है। बाकी गुजरात से आएंगे। लूनी नदी राजस्थान के अजमेर, नागौर, जोधपुर, पाली और बाड़मेर से गुजरात के कच्छ तक बहती है। नदी समुद्र में प्रकट हुए बिना कच्छ के मरुस्थल में मिल जाती है।
लूनी नदी की विशिष्टता यह है कि इसका पानी अजमेर से बाड़मेर तक मीठा ताजा है। हालांकि यहां से निकलने के बाद इस नदी का पानी काफी खारा हो जाता है। इसका मुख्य कारण राजस्थान के साथ बहने वाले रेगिस्तान में पानी के साथ नमक के कणों का मिल जाना है। गुजरात में इस नदी का पानी बहुत खारा है, इसलिए इसका नाम “लूनी” नदी पड़ा। लूनी नाम संस्कृत शब्द “लवणगिरी” से लिया गया है। नी नी नदी की कई सहायक नदियाँ हैं। इनमें मिती, लिली, जवाई, सुकरी, बंदी और खारी जोजरी जैसी सहायक नदियाँ शामिल हैं।
—– वेंकट, ईखबर एक रिपोर्टर