महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच जारी संजय राउत का शायराना अंदाज, आज ‘बच्चन’ याद आए

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मुंबई: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच लगातार लगातार अपने तीखे शब्दों के जरिए प्रहार करने वाले शिवसेना के फायर ब्रांड नेता संजय राउत आज एक बार फिर शायराना अंदाज में अपनी बात रखी है. संजय राउत ने लगातार दूसरे दिन हिंदी की मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन को याद किया है. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादक और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत लगातार हिंदी और उर्दू के शायरों की कलम से निकले शब्दों के जरिए अपनी बात रख रहे हैं.

बुधवार (13 नवंबर) को संजय राउत के ताजा ट्वीट में लिखा गया है, ‘अग्निपथ, अग्निपथ…अग्निपथ..।’ बता दें कि धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म अग्निपथ का यह डायलॉग हरिवंश राय बच्चन ने ही लिखा था.
मंगलवार (12 नवंबर) को भी संजय राउत ने हरिवंश राय बच्चन को याद करते हुए लिखा था. लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती ।’
रविवार (10 नवंबर) के ट्वीट में संजय राउत ने उर्दू के मशहूर शायर वसीम बरेलवी के शेर की कुछ पंक्तियों को लिखा, ‘रास्ते की परवाह करूंगा तो मंजिल बुरा मान जाएगी………!’

शनिवार (9 नवंबर) को संजय राउत ने अपनी बात कहने के लिए उर्दू की मशहूर शायर शबीना अदीब के शेर की कुछ पंक्तियों का सहारा लिया. संजय राउत ने लिखा, ‘जो खानदानी रईस हैं वो, मिजाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है।’

शुक्रवार (8 नवंबर) को भी संजय राउत ने अपनी बात वसीम बरेलवी के शेर के जरिए कही, ‘वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से, मैं ऐतबार ना करता तो क्या करता?’
गुरुवार (6 नवंबर) को संजय राउत ने हिंदी के दिग्गज कवि कुमार दुष्यंत की लाइनों के जरिए बीजेपी पर निशाना साधा था. संजय राउत ने लिखा था, ‘तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं, कमाल है कि, फ़िर भी तुम्हें यक़ीन नहीं’.

मंगलवार (5 नवंबर) को संजय राउत ने उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी की लाइनों के जरिए अपनी बात रखी, उन्होंने लिखा, ‘जो लोग कुछ नहीं करते वो कमाल करते हैं….’
सोमवार (4 नवंबर )को संजय राउत ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर एक बार फिर कुमार दुष्यंत को याद करते लिखा था. ‘सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए, मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए…’