चाइना के साथ चल रही तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अचानक हुए लद्दाख दौरे ने 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बर्फीली चोटी पर तैनात भारतीय सेना के जांबाजों में दुगुने जोश एवं उत्साह का संचार किया है। इसके साथ ही उन्होंने चाइना को स्पष्ट कर दिया है कि, उसके साथ वार्ता भले ही जारी रखी है, लेकिन चाइना इसे भारत की कमजोरी या बेवकूफी समझने की भूल कतई न करे। अब उसकी हर नापाक हरकत और आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है।
लद्दाख की अग्रिम चौकी तथा अत्यंत दुर्गम स्थल निमू का दौरा करने की एक प्रमुख वजह यह थी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट चाइना के साथ ही पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को भी यह सांकेतिक रूप से यह संदेश देना था कि 20 हजार सैनिकों की तैनाती करके यदि वह भारत के साथ टकराव की सोच रहा है तो यह उसकी बड़ी भूल होगी। गिलगिट व बाल्टिस्तान पर उसके सैनिकों की तैनाती से भारतीय सैनिकों के दृढ़ संकल्प पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
प्रधानमंत्री की इस अचानक यात्रा से भारतीय सैनिकों का, सैनिक अफसरों का मनोबल अवश्य बढ़ा होगा, जोकि चाइना के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद लगातार लोगों की आलोचना झेल रहे थे। इतना ही नहीं, बर्फीली चोटियों पर तैनात हमारे जांबाजों की हौसला अफजाई भी हुई होगी, कि वे सीमा पर अकेले ही दुश्मनों से जंग नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि पूरी सरकार और यहां तक कि देश की 1.30 करोड़ जनता उनके साथ खड़ी है।
पीएम मोदी की यह यात्रा देश के साथ विश्वासघात करने वाले तथा अपने ऊल-जलूल बयानों से चाइना और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को प्रोत्साहित करने वाले अपने ही देश के जयचंदों और विपक्षी नेताओं के लिए भी यह संकेत है कि भारत चाइना की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है और तीनों सेनाओं को दुश्मन की हर हरकत का जवाब देने के लिए खुली छूट दी गयी है।
बाॅर्डर पर तैनात जवानों की हौसला अफजाई करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में प्रख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता की पंक्तियां ‘जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती रही अभी तक डोल, कलम आज उनकी जय बोल…’ को उद्धृत करते हुए चाइना को स्पष्ट शब्दों में हिदायत दे दी है कि, ‘यदि वह वार्ता के जरिये नहीं मानेगा तो भारत दूसरे सभी विकल्पों को अपनाने से भी नहीं हिचकेगा।’
RAHUL SINGH CHOUDHARY