हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने स्कूल बंद करने को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब बच्चों की एडमिशन के आधार पर ही स्कूलों को खुला रखा जाएगा। शिक्षा विभाग ने पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक एडमिशन का क्राइटेरिया तय कर दिया है। अगर डिनोटिफाई किए गए स्कूल उस क्राइटेरिया को फॉलो करते मिले तो सरकार उन्हें बंद नहीं करेगी। हिमाचल में पांच अप्रैल से समर क्लोजिंग स्कूल खुलेंगे और उनमें एडमिशन का दौर भी शुरू हो रहा है। शिक्षा विभाग 13 अप्रैल तक देखेगा कि डिनोटिफाई किए गए स्कूलों में संबंधित कक्षाओं में बच्चों की कितनी स्ट्रेंथ है। उस स्ट्रेंथ को आधार बनाकर ही स्कूलों को खुला रखा जाएगा, अन्यथा उन्हें बंद कर दिया जाएगा। सुक्खू सरकार ने पूर्व की जयराम सरकार द्वारा खोले गए 285 सरकारी स्कूलों को डिनोटिफाई कर दिया है।
सरकार का मानना है कि यह वह स्कूल हैं, जहां पर जीरो एनरोलमेंट है। विपक्ष के दबाव के चलते सरकार ने समर क्लोजिंग स्कूलों को 13 अप्रैल तक स्टूडेंट की स्ट्रेंथ के आधार पर डिनोटिफाई करने का फैसला लिया है। इस दौरान अगर संबंधित स्कूलों में बच्चों की एडमिशन होती है तो ही स्कूल खुले रहेंगे। प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्ष लगातार सरकार को संस्थानों और स्कूलों को बंद किए जाने के फैसले पर घेर रहा है। सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि बंद किए गए संस्थानों को रिव्यू करके नीड बेस्ड ही खोला जाएगा।
बंद हो चुके हैं 285 प्राइमरी स्कूल
इससे पहले सरकार 285 जीरो एडमिशन वाले स्कूलों को बंद कर चुकी है। इसमें 17 प्राइमरी स्कूलों को डिनोटिफाई किया जा चुका है। इसके साथ ही 19 कालेज भी बंद किए गए हैं। 31 मार्च को इन बच्चों का रिजल्ट आएगा। इसीलिए पहली अप्रैल से उन्हें दूसरे स्कूलों में भेजकर ये स्कूल बंद कर दिए जाएंगे।
इतने छात्र होना जरूरी
उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक अमरजीत शर्मा के अनुसार, 12वीं कक्षा में कम से कम 25 बच्चों का होना अनिवार्य है। दसवीं में 20, मिडिल में 15 और प्राइमरी कक्षा में दस बच्चे होना जरूरी है। अगर डिनोटिफाई किए गए स्कूलों में संबंधित कक्षाओं में बच्चों की संख्या विभाग द्वारा तय किए गए मापदंड पर खरी उतरती है तो स्कूल खुले रहेंगे।