नई दिल्ली। सोमवार को 67वें राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा की गई जिसमें बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी और साउथ सिनेमा के अभिनेता धनुष को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। मनोज बाजपेयी को यह खास पुरस्कार तीसरी बार मिला है। एक्टर को इस बार ये अवॉर्ड ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर रिलीज़ हुई फिल्म ‘भोंसले’ के लिए दिया गया है। तीसरी बार नेशनल अवॉर्ड जीतकर मनोज बायपेयी बहुत खुश हैं। स्पॉटब्वॉय से बातचीत में मनोज बायपेयी ने इस बात की खुशी ज़ाहिर की है और सभी को धन्यवाद किया है।
स्पॉटब्वॉय से बातचीत में मनोज ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं और उनक लोगों के शुक्रगुज़ार हूं जिन्होंने इस फिल्म पर भरोसा किया। फिल्म डायरेक्टर देवाशीष मखीजा, मेरे को स्टार संतोष जुवेकर और इप्शिता चक्रवर्ती, मैं अपने प्रोड्यूसर को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस फिल्म में उन्होंने अपना थोड़ा बहुत पैसा लगाया और हमें सपोर्ट का। मैं दिल से सभी का शुक्रगुज़ार हूं’। आगे एक्टर ने बताया, ‘जिस वक्त के अनाउंस हुआ मैं बहुत गहरी नींद में सो रहा था, तभी मेरा फोन अचानक से बचने लगा और मुझे इसके बारे में पता चला। कोरोना की वजह से मैं बहुत कमज़ोर महसूस कर रहा था, इसलिए ये खबर मुझे बहुत सही वक्त पर मिली है।
वहीं इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक्टर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ये अवॉर्ड सिर्फ मेरे लिए नहीं है बल्कि उन सब लोगों के लिए है जिन्होंने पीछे रहकर काम किया है। नेशनल अवॉर्ड जीतने के साथ ही ‘भोंसले’ की यात्र समाप्त होती है। मैं सिर्फ शुक्रगुज़ार महसूस कर रहा हूं और कुछ नहीं’। इन प्रतिक्रियाओं के अलावा मनोज बाजपेयी ने अपने इंस्टाग्राम पर फिल्म का पोस्टर भी शेयर किया है जिसके साथ उन्होंने लिखा है ‘थैंक्यू’।
आपको बता दें कि इससे पहले एक्टर को साल 2000 में रिलीज हुई फिल्म ‘सत्या’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सह कलाकार और साल 2005 में आई फिल्म ‘पिंजर’ के लिए स्पेशल जूरी के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वहीं बात करें फिल्म ‘भोंसले’ की तो इसकी कहानी प्रवासी और स्थानीय लोगों के बीच पनपते प्यार और नफरत को बयां करती है। फिल्म की कहानी की शुरुआत महाराष्ट्र के सबसे बड़े त्योहार गणेश चतुर्थी से शुरू होती है। फिल्म की कहानी खत्म भी इसके विसर्जन पर होती है।
फिल्म में मनोज बाजपेयी के किरदार का नाम ‘भोंसले’ है जोकि पुलिस डिपार्टमेंट में काम करता है। वह अपनी नौकरी के से रिटायर्ट होने वाला है। भोंसले को दुनिया से कोई मतलब नहीं है और अपनी निराश जिंदगी में खुश होता है। वहीं उसकी चॉल में रहने वाला एक ड्राइवर विलास (संतोष) बिहारियों के खिलाफ लोगों को भड़काता है। बिहार की निवासी सीता (इप्शिता) उसी चॉल में अपने भाई लालू (वैभव) के साथ रहती है। दोनों बहन-भाई भोंसले से अचानक एक रिश्ते से जुड़ जाते हैं। ऐसी परिस्थितियां आती हैं कि सीता को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।