नई दिल्ली। बॉम्बे हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से भी संजय लीला भंसाली की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी को बड़ी राहत मिली है। गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। खुद को गंगूबाई का गोद लिया बेटा होने के दावा करने वाले एक शख्स ने गंगूबाई काठियावाड़ी के खिलाफ लीव पिटिशन दाखिल की थी, जिसमें मेकर्स को फिल्म का प्रचार और रिलीज करने से रोकने की गुजारिश की गयी थी। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जेके माहेश्वरी की बेंच ने याचिका खारिज की। गंगूबाई काठियावाड़ी कल यानी 25 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है।
याचिकाकर्ता ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 30 जुलाई 2021 के एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उच्च न्यायालय ने मेकर्स को प्रिंटिंग, प्रमोटिंग, सेलिंग आदि से रोकने की मांग को खारिज कर दिया था। गंगूबाई काठियावाड़ी एस हुसैन जैदी की किताब माफिया क्वींस ऑफ मुंबई की एक कहानी पर आधारित है।
याचिकाकर्ता की ओर से अरुण कुमार सिन्हा, राकेश सिंह और सुमित सिन्हा पेश हुए। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता सी आर्यमा सुंदरम ने संजय लीला भंसाली का पक्ष रखते हुए कहा कि फिल्म गंगूबाई का महिमा मंडन करती है। सुंदरन ने बेंच से अपील की कि अगर सम्भव है तो विकिपीडियो देख लें। संबंधित महिला के बारे में वहां सब कुछ है। मैं कर क्या रहा हूं? मैं उन्हें महिमा मंडित कर रहा हूं। सीनियर एडवोकेट ने गंगूबाई के बारे में कुछ कहानियां भी अदालत को बतायीं, जिनमें उन्हें गरिमा प्रदान करती हैं।
बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने फिल्म के खिलाफ दो याचिकाएं खारिज कर दी थीं, जबकि एक को डिस्पॉज कर दिया था। डिसमिस पिटिशन में से एक कांग्रेस एमएलए अमीन पटेल ने फाइल की थी। जिस याचिका को डिस्पॉज किया गया था, वो हितेन मेहता ने दाखिल की थी। बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में कमाठीपुरा और काठियावाड़ी को बदनाम करने के आरोप लगाये गये थे। याचिकाओं में इन दोनों शब्दों को फिल्म से निकालने की गुजारिश की गयी थी। आज 24 फरवरी को संजय लीला भंसाली का जन्मदिन भी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उनके लिए किसी तोहफे से कम नहीं। भंसाली की यह दसवीं फिल्म है, जिसका उन्होंने निर्देशन किया है। फिल्म में अजय देवगन भी एक अहम किरदार में दिखने वाले हैं।