रायपुर : झारखंड का राज्यपाल बनाए जाने बाद रमेश बैस ने कहा कि राजभवन राजनीति का अखाड़ा नहीं है। वहां से विकास का रास्ता तय होता है। त्रिपुरा में उन्होंने सरकार के साथ मिलकर काम किया और कई विकास योजनाओं को पूरा करने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है। झारखंड में भी मुख्यमंत्री के साथ मिलकर बेहतर काम करने की कोशिश करेंगे।
रायपुर में मीडिया से चर्चा में राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि जहां अहम का टकराव होता है, वहीं से राजभवन और सरकार में दूरियां आती हैं। राज्यपाल से राज्य सरकारों का सियासी टकराव नहीं होता। अगर सही मन से काम करेंगे तो टकराव की स्थिति निर्मित नहीं होती। मैं अपने कामों से झारखंड की सरकार का दिल जीत लूंगा।
गैर भाजपा शासित झारखंड का राज्यपाल बनने पर बैस ने कहा कि मुझे वहां की परिस्थितियों की जानकारी नहीं है। लेकिन एक राज्यपाल की जो भूमिका होती है, उसमें मुझे नहीं लगता कि कोई दिक्कत आएगी।
मुख्यमंत्री के साथ बैठकर काम करेंगे। वह हमें सहयोग करेंगे, हम उनको सहयोग करेंगे। यह हर सरकार चाहेगी, हर मुख्यमंत्री चाहेगा कि राज्यपाल के साथ मिलकर रहेंगे, काम करेंगे तो प्रदेश का विकास होगा। बैस ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं संवैधानिक पद पर जाउंगा। केंद्र सरकार ने मुझ पर विश्वास किया। त्रिपुरा में जिम्मेदारी संभालते हुए हमेशा समन्वय बनाकर चलने की कोशिश की। हमेशा सक्रिय रहा।
कोरोना संकट के बीच लगातार अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात को काबू में किए जाने की कवायद जारी रखी। टीकाकरण को लेकर त्रिपुरा देश में बेहतर परफार्म करने वाले राज्यों में है। बैस ने कहा कि राजभवन से मैं पार्टी पालिटिक्स कभी नहीं करता। हमेशा विकास की बातें करता हूं। अब जब मुझे झारखंड की जिम्मेदारी दी गई है तो मेरी कोशिश राज्य सरकार के साथ मिलकर विकास की दिशा में कदम बढ़ाने की होगी।
छत्तीसगढ़ की सियासत पर बोले बैस-भविष्य कोई नहीं जानता
छत्तीसगढ़ की स्थानीय राजनीति को लेकर हुए सवाल पर बैस ने कहा कि इस बारे में तो कुछ बोल ही नहीं सकते। आगे क्या होगा, भविष्य कोई नहीं जानता। राज्यपाल बनने के अनुभव के बारे में बैस ने बताया कि पहले तो लगा था कि राजनीतिक और संवैधानिक काम में अंतर है।
दो साल त्रिपुरा में काम करने के बाद संवैधानिक पद की जानकारी हो गई है। वहां के अनुभवों के आधार पर झारखंड में उससे भी अच्छा काम करेंगे। राज्य सरकार के साथ मिलकर झारखंड का विकास हो, वहां के आदिवासियों का विकास हो, इसकी चिंता करके ज्यादा से ज्यादा केंद्र सरकार की योजनाओं को ले जाकर विकास करेंगे।