बिलासपुर। कोरोना संक्रमण काल के दौरान आठ जून को पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के गृहग्राम में उनके दशगात्र का कार्यक्रम होगा। इसके बहाने उनके पुत्र व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी राजनीतिक ताकत की नुमाइश करेंगे। जाहिर है इस ताकत के बहाने छह महीने के भीतर मरवाही में होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर समर्थकों, ग्रामीणों व विरोधी दलों के दिग्गजों को संदेश देने की कोशिश भी करेंगे।
स्व. जोगी का ईसाई रीति रिवाज से गौरेला स्थित ग्रेवी यार्ड में अंतिम संस्कार किया गया। वसीयत में जताई इच्छा के मुताबिक मंगलवार दो जून को परिजनों, जकांछ के प्रमुख दिग्गजों व समर्थकों की मौजूदगी में कब्र से मिट्टी लेकर कलश यात्रा निकाली गई और नर्मदा नदी के संगम में प्रवाहित किया गया।
अपने आपको आदिवासी समाज का मानते थे अजीत जोगी
स्व. जोगी अपने आपको आदिवासी समाज से मानते रहे हैं। लिहाजा अब आगे का कार्यक्रम समाज के रीति रिवाजों से करने का निर्णय परिजनों व समर्थकों ने लिया है। आठ जून को उनका दशगात्र का कार्यक्रम है। ग्रामीण इलाकों में शोकपत्र बांटने का काम भी शुरू हो गया है। इसके लिए जकांछ के पदाधिकारियों व समर्थकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। समर्थकों व प्रमुख रणनीतिकारों की कोशिश है कि दशगात्र का आमंत्रण देने के लिए गांव का एक भी व्यक्ति न छूटे।
भीड़ होगी इकठ्ठी तो कैसी बनेगी शारीरिक दूरी
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन तो खत्म कर दिया है। लेकिन खतरा अब भी कायम है। राज्य सरकार ने जिले की सीमा सील रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं। कोरोना का संक्रमण प्रदेश में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार लगातार शारीरिक दूरी बनाए रखने और मास्क लगाने की हिदायत दे रही है। जनचर्चा तो यह भी है कि कोरोना संक्रमण के बीच जोगीसार में अगर भीड़ जुटती है तो शारीरिक दूरी का पालन आयोजक किस तरह कराएंगे और कोरोना के संक्रमण को रोकने क्या तरीका अपनाएंगे, यह देखने की बात होगी। दशगात्र के कार्यक्रम में उमड़ने वाली भीड़ में से एक भी कोरोना कैरियर निकल गया तब क्या होगा।