नई दिल्ली। कोरोना से उबर रही भारतीय इकोनमी को कच्चे तेल की बढ़ी कीमतों के धक्के अब बर्दाश्त करने होंगे। यूक्रेन पर रूस के हमले से बने वैश्विक हालात को देखते हुए क्रूड की कीमत पिछले नौ वर्षों के उच्चतम स्तर को पार करते हुए 110 डालर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई है। इससे आम जनता को महंगे पेट्रोलियम उत्पादों का बोझ तो उठाना ही पड़ेगा। साथ ही वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई और घाटे को लेकर सरकार ने जो आकलन किया है वह भी बिगड़ सकता है। महंगा क्रूड आरबीआइ के लिए भी एक बड़ा ¨चता का कारण बनता दिख रहा है। क्रूड के तेवर यूं ही रहे तो केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला जल्द करना पड़ सकता है। उधर, सरकारी तेल कपंनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की आपूर्ति के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए नए सौदे करने तेज कर दिए हैं। तेल कंपनियों के सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर आपूर्ति की स्थिति क्या रहेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में कीमत तेज होने के बावजूद आपूर्ति सुनिश्चित करना जरूरी है। सरकारी कंपनी भारत पेट्रोलियम ने अप्रैल माह के लिए मध्य पूर्व देशों से ज्यादा क्रूड खरीदने का सौदा करने के संकेत दिए हैं।
एक दिन में 10 डालर तक बढ़ीं कीमतें
असलियत में क्रूड के बड़े खरीददार देश चीन, जापान की कंपनियां भी तेजी से नए सौदे कर रही हैं जिसकी वजह से क्रूड की कीमत एक दिन में तकरीबन 10 डालर प्रति बैरल तक बढ़ गई है। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड की कीमत 113 डालर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी है। यह बढ़ोतरी इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आइईए) की तरफ से इमरजेंसी रिजर्व से छह करोड़ बैरल क्रूड बाजार में जारी करने की घोषणा के बावजूद हुई है। यूक्रेन-रूस तनाव की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की संभावित कमी को दूर करने के लिए आइईए ने यह कदम उठाया है। गुरुवार को तेल उत्पादक देशों (ओपेक) की भी बैठक है जिसमें तेल उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया जा सकता है।
..तो जनता रहे महंगे पेट्रोल-डीजल को तैयार
अगर घरेलू स्तर पर इस असर की बात करें तो आम जनता को महंगे पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के लिए तैयार रहना चाहिए। कर्मशियल सिलेंडर की कीमत एक दिन पहले ही 105 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ाकर तेल कंपनियों ने अपने इरादे दिखा दिए हैं। सरकारी तेल कंपनियों ने दो नवंबर, 2021 के बाद से पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कोई इजाफा नहीं किया है। तब क्रूड की कीमत 81-82 डालर प्रति बैरल थी। पांच राज्यों के चुनाव सात मार्च, 2022 को समाप्त हो रहे हैं और उसके तुरंत बाद ही तेल कंपनियों की तरफ से पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाए जाने की संभावना है। विशेषज्ञों के मुताबिक पेट्रोलियम पदार्थो की कीमत बढ़ना तय है। सिर्फ तेल कंपनियों को यह तय करना है कि सारा बोझ एक साथ जनता पर डाला जाए या प्रतिदिन कुछ-कुछ कीमतें बढ़ाई जाएं।