नई दिल्ली । भारत अब मोबाइल फोन हैंडसेट का निर्यातक बन गया है। वित्त वर्ष 2019-20 में मोबाइल हैंडसेट का निर्यात आठ गुना बढ़कर 11,200 करोड़ रुपये मूल्य का हो गया, जो आयात की तुलना में अधिक है। यह पहली बार है जब किसी साल भारत का मोबाइल फोन हैंडसेट निर्यात, आयात के मुकाबले अधिक रहा है। इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आइसीईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई दौरान मोबाइल फोन हैंडसेट निर्यात 7,000 करोड़ रुपये के करीब रहा। माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में यह 25,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू जाएगा।
आइसीईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू का कहना है कि मोबाइल हैंडसेट मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग का शानदार प्रदर्शन जारी है। वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में मोबाइल हैंडसेट के निर्यात में 800 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में मोबाइल आयात 10,000 करोड़ रुपये मूल्य का था जबकि निर्यात 11,200 करोड़ रुपये रहा। यह सुनहरे भविष्य के लिए छोटी, लेकिन दमदार शुरुआत है। यह देश के लिए भी अच्छा है।
आइसीईए ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में भारत में कुल 29 करोड़ मोबाइल फोन हैंडसेट का उत्पादन हुआ, जिनका मूल्य 1.81 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2014-15 में मात्र 5.8 करोड़ मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन हुआ था जिसका मूल्य 18,900 करोड़ रुपये था। उस समय निर्यात लगभग शून्य था क्योंकि नोकिया का प्लांट बंद हो चुका था।
ऐसे बढ़ा निर्यात
सरकार ने अगस्त 2014 में डिजिटल इंडिया रोडमैप जारी किया था जिसमें 2020 तक नेट जीरो इंपोर्ट का लक्ष्य रखा था। मोबाइल हैंडसेट के क्षेत्र में ही सरकार ने 2025 तक 100 करोड़ हैंडसेट बनाने का लक्ष्य रखा है। उस समय उनका मूल्य लगभग 13 लाख करोड़ रुपये होगा। बताया जाता है कि 100 करोड़ मोबाइल हैंडसेट के इस लक्ष्य में से 60 करोड़ मोबाइल हैंडसेट का निर्यात किया जाएगा और इनका मूल्य लगभग सात लाख करोड़ रुपये होगा।
मोहिंद्रू ने कहा कि 2014-15 में देश में मोबाइल हैंडसेट की 80 प्रतिशत मांग आयात से पूरी हो रही थी जबकि 2018-19 में यह आंकड़ा घटकर छह प्रतिशत के स्तर पर आ गया। इसलिए यह क्षेत्र मोबाइल हैंडसेट के आयात को शून्य करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।