नई दिल्ली। नकदी तंगी के समय पर्सनल लोन बहुत काम आता है। हालांकि, नकदी संकट की स्थिति में व्यक्ति को पर्सनल लोन के लिए सबसे आखिरी विकल्प के रूप में आजमाना चाहिए, क्योंकि इसमें ब्याज दर अपेक्षाकृत अधिक होता है। पर्सनल लोन लेते समय ग्राहक को इस बात पर विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ब्याज दर कम हो। सबसे पहले तो खुद से ये पूछिए कि आपको कर्ज की क्या आवश्यकता है, आप ये कर्ज क्यों ले रहे हैं? खुद से पूछें कि क्या बचत का उपयोग करना या खरीद में देरी संभव है? हालांकि, सारे सवालों का जवाब मिलने के बाद भी पर्सनल लोन लेते समय कुछ ऐसे कारक जिससे इस लोन का आवेदन ख़ारिज हो जाता है। जानिए, ऐसे ही कारण…
पुराना बकाया: टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, अगर आपने कोई पुराना लोन लिया है, और उसे अब तक नहीं चुकाया है तो आपका आवेदन ख़ारिज हो सकता है। उन्होंने कहा कि कई बार सिबिल स्कोर खराब हो तो भी पर्सनल लोन का आवेदन ख़ारिज हो जाता है। जैन ने कहा कि लोन की राशि समय पर नहीं चुकाने पर इससे सिबिल स्कोर खराब होता है और जब लोन देने वाला बैंक ग्राहक के सिबिल स्कोर ओ चेक करता है तो उस वक्त लोन मिलने की संभावना कम हो जाती है।
आय को लेकर आवेदन ख़ारिज होना: बलवंत जैन कहते हैं, कई मर्तबा बैंक या लोन देने वाले फर्म को लगता है कि वह जिस व्यक्ति को लोन दे रहा है उसके पास आय का पर्याप्त श्रोत नहीं है, और वह व्यक्ति लोन लेने के बाद उसे नहीं चुका पाएगा, तो भी लोन आवेदन ख़ारिज हो जाता है।
आय की सही जानकारी नहीं देना: कई बार ग्राहक आय का सही श्रोत नहीं बताते, तब कर्जदाता को लगता है कि अमुक ग्राहक को लोन दिया जाएगा तो वह लोन की राशि नहीं चुका पाएगा, उस वक़्त भी लोँन आवेदन ख़ारिज हो जाएगा।
जॉइंट में अप्लाई करना: बलवंत जैन के मुताबिक, अगर लोन के लिए जॉइंट आवेदन किया है और दोनों का सिबिल स्कोर खराब है तो भी लोन का आवेदन ख़ारिज हो सकता है।