नई दिल्ली : GST Council यानी माल एवं सेवाकर परिषद (GST) परिषद की आज बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है। यह बैठक उम्मीद से कम रेवेन्यू कलेक्शन को लेकर बढ़ती चिंताओं की पृष्ठभूमि में हो रही है। इस वजह से राज्यों को क्षतिपूर्ति राशि यानी compensation के भुगतान में देरी हो रही है। इसको लेकर जीएसटी स्लैब और दरों में इजाफे की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों ने देश में आर्थिक सुस्ती के माहौल को देखते हुए जीएसटी की दरों और सेस में किसी तरह की वृद्धि का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि उपभोक्ता और उद्योग मुश्किल वक्त से गुजर रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी काउंसिल की यह बैठक होने वाली है।
बजट अनुमान से 40 फीसद कम कलेक्शन
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-नवंबर, 2019 के बीच सेंट्रल जीएसटी कलेक्शन बजट अनुमान से 40 फीसद कम रहा है। इस अवधि में 3,28,365 करोड़ रुपये का सीजीएसटी संग्रह हुआ जबकि बजट में इस दौरान 5,26,000 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान लगाया गया था। जीएसटी कंपेनसेशन में देरी को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने राज्यों के रेवेन्यू में जीएसटी की वजह से होने कमी की क्षतिपूर्ति के लिए सोमवार को 35,298 करोड़ रुपये रिलीज किए।
जीएसटी रेट की समीक्षा को लेकर राज्यों से मांगी गई है राय
सीतारमण के अगुवाई वाले परिषद ने विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी की दर और कंपेनेशेसन रेट की समीक्षा को लेकर राज्यों से सुझाव मांगा है। इसके साथ ही राजस्व बढ़ाने के लिए नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा हो सकती है। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने वित्त मंत्री सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि स्टैगफ्लेशन की स्थिति दस्तक दे रही है। साथ ही उद्योग और उपभोक्ता मुश्किल दौर का सामना कर रहे हैं। ऐसे में रेट बढ़ाने या कोई नया सेस लगाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी है चिंताजनक
उल्लेखनीय है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कई अर्थशास्त्रियों ने इस बात की आशंका जतायी है कि भारत धीमी वृद्धि और ऊंची महंगाई यानी स्टैगफ्लेशन की चपेट में फंस सकता है। GST Council की यह अहम बैठक ऐसे समय में होने वाली है जब खाने-पीने की बढ़ती कीमतों की वजह से खुदरा महंगाई दर तीन साल के उच्चतम स्तर 5.54 फीसद पर पहुंच गई है। दूसरी ओर औद्योगिक क्षेत्र का उत्पादन अक्टूबर में भी गिरा। इस तरह लगातार तीसरे महीने इसमें गिरावट दर्ज की गई।