नई दिल्ली : सरकार ने टेलीकॉम उद्योग को स्पेक्ट्रम शुल्क के भुगतान में दो वर्षो की राहत देने का फैसला किया है। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को 2020-21 और 2021-22 के बकाया स्पेक्ट्रम शुल्क का भुगतान बाकी वर्षो में बराबर किस्तों में करने की छूट दी गई है। इससे उद्योग फिलहाल तत्काल 42 हजार करोड़ रुपये की अदायगी से बच गया है। सरकार के इस फैसले से पैसों के संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को राहत मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क के भुगतान की कुल अवधि नहीं बढ़ाई गई है। बल्कि दो वर्षो का बकाया बाकी वर्षो के दौरान बराबर किस्तों में करने की छूट दी गई है। लेकिन टेलीकॉम कंपनियों को दो वर्ष की इस स्थगित अवधि का ब्याज देना पड़ेगा। उसमें कोई छूट नहीं दी गई है। अर्थात उन्हें ब्याज अदा करना होगा। ताकि शुद्ध देय राशि ज्यों की त्यों रहे।जो टेलीकॉम कंपनियां स्पेक्ट्रम फीस के भुगतान में दो वर्ष की छूट चाहती हैं उन्हें सीधी छूट नहीं मिलेगी। परंतु यदि वे चाहें तो भुगतान के एवज में किस्तों के बराबर बैंक गारंटी दे सकती हैं।
बता दें कि सोमवार को टेलीकॉम उद्योग के संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने स्पेक्ट्रम शुल्क के पेमेंट के लिए तीन साल का समय मांगा था। सीओएआइ के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा था कि ऑपरेटरों को बड़ी राहत की जरूरत है।
टेलीकॉम उद्योग को वित्तीय संकट से उबारने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने भले ही थोड़ी राहत की घोषणा कर दी है लेकिन संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया तथा अन्य टेलीकॉम कंपनियों पर लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये के सरकारी बकायों की देनदारी बनती है, जिसका भुगतान उन्हें करना ही होगा। इसके ब्याज और जुर्माने में किसी प्रकार की छूट देने का फिलहाल सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं हैं।
टेलीकॉम उद्योग की हालत पर अलग-अलग प्रश्नो के जवाब में प्रसाद ने कहा टेलीकॉम कंपनियों के बकाये में 92,642 करोड़ रुपये लाइसेंस फीस के तथा 55,054 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम यूजेज चार्जेज (एसयूसी) के शामिल हैं। इन देनदारियों का आकलन सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले के आधार पर किया गया है कि एजीआर में गैर-टेलीकॉम राजस्व को भी शामिल माना जाएगा। एजीआर के आंकड़ों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इस राशि का नए सिरे से निर्धारण किया जाएगा।
सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक भुगतान करने तथा जरूरी कागजात जमा करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर के फैसले के बाद भारती एयरटेल पर तकरीबन 35,586 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। इसमें 21,682 करोड़ रुपये लाइसेंस फीस जबकि 13,904 करोड़ रुपये एसयूसी का बकाया शामिल है। इसमें टेलीनॉर और टाटा टेली सर्विसेज के बकाया शामिल नहीं हैं।
दूसरी ओर वोडाफोन आइडिया पर कुल 53,038 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। जिसमें 28,309 करोड़ लाइसेंस फीस और 24,729 करोड़ रुपये एसयूसी का बकाया शामिल है। इसी प्रकार रिलायंस कम्यूनिकेशंस लि. तथा रिलायंस टेलीकम्यूनिकेशंस पर 16,457 करोड़ की लाइसेंस फीस व 4683.78 करोड़ का एसयूसी बकाया है। कुल मिलाकर 15 कंपनियों पर लाइसेंस फीस और 20 कंपनियों पर एसयूसी की देनदारी है।