नई दिल्ली : सरकार ने कहा है कि अगर एयर इंडिया का निजीकरण नहीं हुआ तो इसका परिचालन बंद करना पड़ेगा। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा को बताया कि सरकार इस सार्वजनिक विमानन कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। 31 मार्च, 2020 तक इसके विनिवेश का लक्ष्य रखा गया है। कंपनी के शीर्ष अधिकारी अभी इसके मूल्यांकन में जुटे हुए हैं। इसके बाद बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।
एयर इंडिया काफी समय से घाटे में चल रही है। इसके चलते सरकार पहले भी इसमें अपनी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर चुकी है। सरकार ने पिछले साल मई में इसमें 76 परसेंट हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी। उस दौरान एक भी निजी खरीदार ने इस सौदे में रुचि नहीं दिखाई थी। हालांकि, अब एविएशन सेक्टर के हालात जुदा हैं।
जानकारों का मानना है कि इस बार एयर इंडिया को खरीदार मिलने में आसानी होगी। इसके अलावा कंपनी को आकर्षक बनाने के लिए इसके कर्ज को कम करने का प्रयास भी किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक बोली आमंत्रित करने से पहले एयर इंडिया प्रमुख अश्विनी लोहानी संभावित निवेशकों के साथ बैठकें कर रहे हैं। इससे पहले पुरी ने कहा था कि एयर इंडिया के मसले पर बातचीत करने के लिए मंत्रियों के समूह ने पिछले सप्ताह बैठक की थी। इस बैठक में कुछ जरूरी फैसले लिए गए थे।
इस सरकारी विमानन कंपनी के पास भारत सहित दुनियाभर में लाभप्रद लैंडिंग स्लॉट और अन्य संपत्तियां हैं। फिलहाल कंपनी कर्ज के बोझ तले दबी हुई और परिचालन का खर्च चुकाने में असमर्थ है। यहां तक कि कई बार कंपनी अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में विफल रही है। इस बीच नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि देश के एविएशन सेक्टर में हर वर्ष 100 पायलटों की जरूरत है। यह मांग अभी पूरी नहीं हो पा रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार अपनी फ्लाइंग ट्रेनिंग एकेडमी को अपग्रेड करेगी।
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि निजीकरण होने तक एयर इंडिया के किसी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी। इसके साथ ही समझौते में भी कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने उन रिपोर्ट को भी खारिज किया, जिनमें कुछ पायलटों के नौकरी छोड़ने की बात कही जा रही है। पुरी ने बताया कि वित्तीय संकट के दौरान कर्मचारियों का 25 परसेंट वेतन रोक लिया गया था। विनिवेश से पहले ही उनका पूरा वेतन चुका दिया जाएगा। इस बीच पुरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के कर्मचारियों की नौकरी संबंधी चिंताएं उड्डयन मंत्रालय के कार्यक्षेत्र से संबंधित नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने बताया कि पूर्व कर्मचारियों को नौकरी तलाशने में मदद के लिए एक पोर्टल खोला गया है।