नई दिल्ली: आने वाले दिनों में आपका मोबाइल और इंटरनेट बिल बढ़ने जा रहा है. एयरटेल और वोडाफोन ने दरें बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. पहले से संकट से जूझ रहे टेलीकॉम सेक्टर में दूसरी कंपनियां भी ये रास्ता अख़्तियार कर सकती हैं. एक तिमाही में 50,000 करोड़ से ज़्यादा का घाटा उठाने वाली टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने आखिरकार अपना बोझ ग्राहकों पर डालने का फ़ैसला किया है. यही रास्ता भारती एयरटेल भी ले रही है, जिसे पिछली तिमाही में 23,000 करोड़ से ज़्यादा का घाटा हुआ है. नतीजा ये है कि एक दिसंबर से ये कंपनियां अपनी दरें बढ़ाने जा रही हैं. हालांकि फिलहाल वो बेहतर सुविधाओं का वादा भी कर रही हैं.
दरों के बढ़ाए जाने के बारे में वोडाफोन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित सचिवों की समिति सेक्टर को राहत देने के विकल्पों पर विचार कर रही है. दरअसल पिछले महीने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी AGR पर दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कमर तोड़ दी है जिसमें टेलिकॉम आपरेटरों को करीब 92000 करोड़ की बकाया रकम सरकार को चुकाने का निर्देश दिया गया है. सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी ने शुक्रवार को एनडीटीवी से कहा कि वोडाफोन और एयरटेल राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं और एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी AGR पर दिए फ़ैसले पर फिर से विचार की गुज़ारिश कोर्ट से कर सकते हैं.
बता दें, गुरुवार को ही वोडाफ़ोन ने ऐलान किया था कि दूसरी तिमाही में उसे 50921 करोड़ का नुकसान हुआ है, जबकि इस तिमाही में एयरटेल को 23045 करोड़ का घाटा हुआ है. सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद टेलीकॉम ऑपरेटर्स का कुल घाटा बढ़कर 4.72 लाख करोड़ पहुंच गया है. वो चाहते हैं कि घाटा कम करने में सरकार लाइसेन्स फीस और स्पेक्ट्रम यूज़ेस चार्ज घटाए. साफ है संकट बड़ा है. टेलिकॉम सेक्टर पर कर्ज़ का बोझ बढ़कर 7.6 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है.