भारतीय कंपनियों की कर्ज-मुक्त होने की रफ्तार धीमी रहेगी, लेकिन कई कंपनियां लगातार कर्ज
घटाने में सफल रहेंगी।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ने कहा है कि बढ़ते पूंजीगत खर्च की वजह से भारतीय कंपनियों की
कर्ज-मुक्त होने की रफ्तार धीमी रहेगी, लेकिन कई कंपनियां लगातार कर्ज घटाने में सफल रहेंगी।
एसऐंडपी ने एक बयान में कहा है कि वित्तीय अनुशासन और मजबूत परिचालन नकदी प्रवाह से
पिछले तीन वर्षों में भारतीय कंपनियों को कर्ज में बड़ी गिरावट लाने में मदद मिली।
रेटिंग वाली कंपनियों के पोर्टफोलियो के लिए कर्ज-एबिटा अनुपात मार्च 2024 तक एक साल पहले
के 2.7 गुना से घटकर करीब 2.4 गुना रह जाएगा। इसमें मार्च 2020 के 4.3 गुना के आंकड़े से
बड़ी गिरावट आई थी। ऋण-एबिटा अनुपात के आकलन में कर्ज-मुक्त आईटी कंपनियों और
इन्फ्रास्ट्रक्चर/यूटिलिटी कंपनियों को अलग रखा गया है, जो अक्सर ज्यादा कर्ज से जुड़ी होती हैं।
एसऐंडपी ने ‘कॉरपोरेट इंडिया इज ऑन ए स्ट्रॉन्गर क्रेडिट फुटिंग’ रिपोर्ट में कहा गया है कि
इन्फ्रास्ट्रक्चर/यूटिलिटी कंपनियों के लिए कर्ज मार्च 2024 तक घटकर करीब 5.2 गुना रह जाने का
अनुमान है, जो मार्च 2023 तक 6.3 गुना पर था।
एजेंसी ने 33 कंपनियों को रेटिंग दी है, जिनमें टाटा और अदाणी समूह जैसे निजी व्यावसायिक
घराने और ओएनजीसी व एनटीपीसी जैसे सरकारी उद्यम शामिल हैं। एसऐंडपी का कहना है कि
जिन भारतीय कंपनियों को उसने रेटिंग दी है, वे मजबूत वृद्धि और बैलेंस शीट की वजह से अच्छी
ऋण क्षमता से संपन्न हैं।