अफगानिस्‍तान: अब कई तालिबानी ठिकानों पर नहीं दिखेंगे US सैनिक, जानें- क्‍या है पूरा मामला

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वाशिंगटन । अफगानिस्‍तान से पांच हजार सैनिकों की वापसी होगी। इसके लिए अमेरिका ने बाकयादा एक रोडमैप तैयार किया है। सोमवार को शांति वार्ता के समापन के बाद वाशिंगटन के शांति दूत जल्‍मय खलीलजाद ने अपने एक साक्षात्‍कार में कहा कि अमेरिका और तालिबान सिद्धांत रूप में एक समझौते पर पहुंच गए हैं। अब इसे अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की हरी झंडी का इंतजार है। इसके साथ ही अमेरिका का अफगानिस्‍तान में एक अध्‍याय का अंत हुआ और इसके साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। आखिर तालिबान से अमेरिका का क्‍या था पंगा। अमेरिका को क्‍या था तालिबान से खतरा। तालिबान से निपटने के लिए अमेरिका की क्‍या थी रणनीति।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप के हरी झंडी का इंतजार
उन्‍होंने कहा कि ‘हम सिद्धांत रूप में एक समझौते पर पहुंच गए हैं। बेशक यह तब तक अंतिम नहीं है, जब तक अमेरिकी राष्‍ट्रपति इस पर सहमत नहीं हो जाते। फ‍िलहाल हम उस स्‍तर पर पहुंच गए हैं।’ उन्‍होंने साफ किया कि अफगानिस्‍तान में किसी भी रूप में इस्‍लामिक कानून स्‍वीकार नहीं किया जाएगा। यह अमेरिका को कतई स्‍वीकार नहीं होगा। उन्‍होंने कहा अमेरिका यहां एक चुनी हुई लोकतांत्रित सरकार का ही समर्थन करेगी।

रंग लाई दस महीने की मेहनत
बता दें अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर दोनों पक्षों ने पिछले दस महीनों में अथक प्रयास किया। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता के नौ दौर चले। यह बैठक अफगान में शांति के बदले तालिबान ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी के आस-पास केंद्रित थी। अमेरिकी सैनिकों को उन क्षेत्रों से वापस होना है, जो ताबिलान के कब्‍जे में है। अमेरिका का कहना है कि तालिबान के कब्‍जे वाला यह इलाका अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवाद का गढ़ बन चुका है। इस समझौते के बाद यह उम्‍मीद की जा रही है कि यह क्षेत्र आतंकवाद से मुक्‍त होगा। इसके अलावा यह समझौता अंतर अफगान शांति वार्ता की शुरुआत का मार्ग प्रशस्‍त करेगा।

18 वर्ष पूर्व अफगानिस्‍तान में घुसी अमेरिकी सेना
18 वर्ष पूर्व अमेरिकी सेना अफगानिस्‍तान में दाखिल हुई थी। तब अमेरिकी सेना को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसे इतना वक्‍त इन रेतीलों एवं गर्म पहाड़ों पर बिताना होगा। अमेरिका ने सबसे लंबा युद्ध यहीं किया। उस वक्‍त अफगानिस्‍तान में तालिबान की अप्रत्‍यक्ष सत्‍ता कायम थी। हालांकि, कुछ इलाकों में तालिबान का प्रत्‍यक्ष शासन था। अमेरिका ने जब आतंकवाद के खिलाफ अभियान शुरू किया तो आतंकियों के लिए तालिबान के प्रभुत्‍व वाले इलाके उनके लिए पनाहगार बन गए। 2011 में यहां करीब एक लाख अमेरिकी थे। वर्ष 2017 में 8,300 और मौजूदा समय में यह संख्‍या 14000 हजार है।