शशि थरूर बोले, बढ़ रही है कांग्रेस के ‘डांवाडोल’ होने की धारणा, सुलझाना ही होगा नेतृत्व का मसला

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नई दिल्‍ली । कांग्रेस में पूर्णकालिक अध्यक्ष को लेकर अंदरूनी कलह एक बार फिर सामने आई है। शीर्ष नेतृत्व में चल रही दुविधा की स्थिति को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक बार फिर सवाल उठाया और कहा कि लोगों की निगाह में एक ऐसी धारणा बन गई है कि पार्टी अपनी राजनीतिक पहचान से भटक गई है और उसे तोड़ने के लिए हमें एक सक्रिय और पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत है।

कांग्रेस ‘डांवाडोल’

थरूर ने कहा कि लोगों में कांग्रेस के ‘डांवाडोल’ होने की बढ़ रही धारणा को दूर करने के लिए अपने नेतृत्व का मुद्दा शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए। एक साक्षात्कार में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा किपूर्णकालिक अध्यक्ष को लेकर अनिश्चितता का समाधान करना न केवल पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भी जरूरी है।

पूर्णकालिक नेतृत्व की जरूरत

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह राहुल गांधी की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस प्रमुख के रूप में लौटना चाहते हैं या नहीं, लेकिन यदि वह अपना पिछला रुख नहीं बदलते हैं तो ऐसे में पार्टी के लिए ‘सक्ति्रय और पूर्णकालिक नेतृत्व’ तलाशने की जरूरत है ताकि पार्टी आगे बढ़ सके -जैसा कि देश अपेक्षा करता है।

कराए जाएं पारदर्शी चुनाव

शशि थरूर ने कहा, ‘हमें वर्तमान नेतृत्व मुद्दा हल करने की यथाशीघ्र जरूरत है। हमें अंतरिम अध्यक्ष नहीं, पूर्णकालिक अध्यक्ष और चुनी हुई कार्य समिति के सदस्यों के साथ शुरुआत करने की जरूरत है।’ थरूर ने कहा कि वह पार्टी में इन पदों (पूर्णकालिक अध्यक्ष और कार्य समिति के सदस्यों) के स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव के पैरोकार हैं, क्योंकि ऐसी प्रक्रिया से उनकी (निर्वाचित व्यक्तियों की) विश्‍वसनीयता एवं उसकी वैधता बढे़गी।

पार्टी ऐसे अध्यक्ष पर बोझ बनकर नहीं रह सकती

कांग्रेस नेता ने थरूर ने कहा कि कार्य समिति ने सोनिया गांधी के रूप में शानदार अंतरिम हल ढूंढ़ा, लेकिन पार्टी अनिश्चितकाल तक एक ऐसे अध्यक्ष पर निर्भर और बोझ बनकर नहीं रह सकती है जिन्होंने दो साल से भी कम समय पहले ही यह पद छोड़ दिया था। ऐसा करना न तो उनके लिए और न ही मतदाताओं के लिए उचित होगा।

बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे

गांधी परिवार से नेतृत्व को लेकर उनसे जब यह यह पूछा गया कि कहीं समस्या यह तो नहीं है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे तो थरूर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि फिलहाल मुद्दा खासकर गांधी परिवार के सदस्यों के सामने इन चिंताओं को उठाने की असमर्थता को लेकर है।’ थरूर ने कहा, ‘यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम और देर न करें और मिलकर आगे बढ़ें। पार्टी में पूर्णकालिक नेतृत्व को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।’

प्रियंका गांधी को बताया करिश्माई

यह पूछे जाने पर कि यदि राहुल गांधी पार्टी प्रमुख के रूप में वापस लौटने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो क्या प्रियंका गांधी वाड्रा को नेतृत्व की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, उन्होंने कहा कि मैं किसी भी कांग्रेस नेता के पक्ष या विरोध में नहीं हूं जो अपना नाम पेश करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं निश्चित ही उम्मीद करता हूं कि जब पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की आधिकारिक रूप से घोषणा की जाएगी तो वह भी मैदान में उतरेंगी।’ थरूर ने कहा कि प्रियंका गांधी में स्वाभाविक करिश्मा है और उनके पास संगठन का भी अनुभव है, लेकिन आखिरकार यह उनका निजी निर्णय होगा और हमें इसका सम्मान करना चाहिए।