भारत को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन, चीन छोड़कर भारत आईं Apple की आठ फैक्ट्रियां

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नई दिल्ली। लद्दाख में चीन की हिमाकत का जवाब देने के लिए भारत ने जो कुछ भी किया है उसे अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और आस्ट्रेलिया सहित सभी बड़े देशों का समर्थन मिला है। केंद्रीय मंत्री एवं बिहार के पटना साहिब से सांसद रविशंकर प्रसाद ने बिहारी एनआरआइ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में कहा कि भारत मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा है। एपल की आठ फैक्ट्रियां भी चीन छोड़कर भारत आ चुकी हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साहसिक कदम को अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि जब लद्दाख में चीन के साथ तनाव पैदा हुआ, तो हमारे पीएम मजबूती से खड़े रहे और यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से कभी कोई समझौता नहीं करेगा। भारत के इस साहसिक रुख को विश्व स्तर पर अमेरिका, ब्रिटेन और जापान साथ मिला।

चीन की चालबजी से फिर तनाव

बता दें कि गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के बाद से पैंगोंग झील इलाके में यथास्थिति में बदलाव करने की चीन की कोशिश की वजह से एक बार फिर तनाव पैदा हो गया है। दोनों देशों के बीच तनाव को घटाने के लिए चुशूल सेक्टर में कई बार ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत हुई, जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारतीय सैनिक पूरी तरह से सतर्क हैं और किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं। भारतीय सैनिकों की सक्रियता से बौखलाए चीन ने भी इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही टैंक और टैंक रोधी मिसाइलों की तैनाती कर दी है।

चीन से भारत आ रही कंपनियां

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत एक बड़े मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभर रहा है और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम भी यह महसूस कर रहा है कि उनके पास चीन के अलावा अन्य विकल्प भी होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि एपल एक महत्वपूर्ण तरीके से भारत में बदलाव कर रहा है। सैमसंग भारत में पहले ही आ चुका है और आगे भी विस्तार करना चाहता है।

भारत आर्थिक शक्ति बन रहा है

उन्होंने आगे कहा कि जब हम 2014 में सत्ता में आए थे, तब भारत में केवल दो मोबाइल कारखाने थे, अब इसकी संख्या 250 के पार हो गई है। हमने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत को लॉन्च किया। हमने वैश्विक कंपनियों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब हम आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम खुद को अलग करना चहते हैं, लेकिन इसका मतलब है कि भारत दुनिया की एक प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के नाते वैश्विक अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए आर्थिक शक्ति बन रहा है।