नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में मुखर आवाज जारी रखते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि देश के भविष्य के लिए इन कानूनों का विरोध किया जाना जरूरी है। कांग्रेस नेता ने नए कृषि कानूनों को किसानों की छाती पर घात करार देते हुए कहा कि नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी के बाद आया यह कानून देश के लिए भी घातक होगा। देश के कुछ किसानों के साथ वर्चुअल संवाद के दौरान राहुल गांधी ने यह बात कही।
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसका वीडियो जारी करते हुए राहुल ने कहा कि नये कृषि कानूनों के बाद इस्ट इंडिया कंपनी की तरह अब वेस्ट इंडिया कंपनी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि वास्तव में नोटबंदी, जीएसटी और कृषि कानूनों में कोई अंतर नहीं है। राहुल ने कहा कि इसी वजह से कांग्रेस पूरे देश में नये कानून के खिलाफ विरोध आंदोलन कर रही है। साथ ही किसानों और उनके संगठनों की मांग का पूरी तरह समर्थन कर रही है।
किसानों के आंदोलन और उनकी आवाज में बहुत ताकत होने की बात कहते हुए राहुल ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान किसानों की बुलंद आवाज ने आजादी हासिल करने में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस नेता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून के विरोध के दौरान भट्टा परसौल की पदयात्रा में उन्होंने देखा कि बड़े उद्योगपति किसानों की जमीन ही नहीं उनकी उपज लेना चाहते हैं।
राहुल ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर जब उन्होंने पहली लड़ाई लड़ी, तब भी मीडिया ने उन पर हमला बोला और अब भी यही हो रहा है। नए कानूनों के जरिये कालेधन को खत्म करने के सरकार के दावों को खारिज करते हुए राहुल ने कहा कि यह सही है बल्कि इसके पीछे असली मकसद गरीबों, मजदूरों और किसानों को कमजोर करना है। राहुल गांधी के साथ इस संवाद में बिहार, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र आदि के किसानों ने हिस्सा लिया।