पंजाब में रविवार को हुई पंजाब राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (PSTET) में सामाजिक अध्ययन विषय का पेपर संदेह के घेरे में आ गया है। पेपर में प्रश्नों के चार विकल्पों में से एक को गहरे काले रंग में हाईलाइट किया गया था। हैरानी की बात यह है कि इनमें से 60 प्रतिशत विकल्प सही पाए गए। कई परीक्षार्थियों ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। पंजाब ओवरएज बेरोजगार यूनियन के अध्यक्ष रमन कुमार मलोट ने सवाल उठाते हुए पूछा कि यह प्रिंटिंग की तकनीकी खामी है या नकल की कोई नई ट्रिक? उन्होंने इसमें अधिकारियों की मिलीभगत का भी संदेह जताया है।
सुखपाल खैरा ने किया ट्वीट
वहीं, कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने भी ट्वीट कर शिक्षा मंत्री को घेरा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री के तौर पर हरजोत बैंस की यह गंभीर विफलता है कि परीक्षा के 60 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब एग्जाम शीट में पहले से ही हाईलाइट किए गए थे। नायब तहसीलदार स्कैंडल के बाद भगवंत मान सरकार की यह बड़ी चूक है। हरजोत बैंस को माफी मांगनी चाहिए और जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।
सुखबीर बादल और सिरसा ने सरकार को घेरा
शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने भी ट्वीट कर लिखा कि आप सरकार में परीक्षा घोटालों का अंत नहीं। अब पंजाब राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा में 60 फीसदी उत्तरों को प्रश्नपत्र पर पहले ही हाईलाइट किया गया। परीक्षा को रद्द कर दिया जाना चाहिए और स्वतंत्र पर्यवेक्षण में आयोजित किया जाना चाहिए। सीएम भगवंत मान बताएं कि अब तक किसी भी घोटाले में कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने ट्वीट किया कि केजरीवाल का शिक्षा मॉडल अब पंजाब को बर्बाद कर रहा है। पीएसटीईटी परीक्षा में 60 फीसदी उत्तर पहले ही प्रश्नपत्र पर हाईलाइट किए गए। यह ‘चुने हुए उम्मीदवारों’ की मदद करने के लिए एक जानबूझकर की गई गड़बड़ी है या लापरवाही थी? शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस पंजाब से माफी मांगें। ऐसी राज्यस्तरीय परीक्षाओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
उम्मीदवारों ने यह बताया
परीक्षा देने वाले एक उम्मीदवार ने बताया कि कुल 60 से 57 प्रश्नों के विकल्प बोल्ड में थे। एक अन्य उम्मीदवार ने बताया कि यह पुष्टि नहीं की जा सकी कि बोल्ड टेक्स्ट में साझा किए गए सभी उत्तर सही थे या नहीं। हालांकि कई उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया पर पेपर को साझा कर अधिकांश बोल्ड विकल्पों को सही उत्तर बताया है। एक अन्य परीक्षार्थी ने बताया कि कई प्रश्नों में काफी गलतियां थीं। कुछ प्रश्नों की शब्दावली ठीक नहीं थी। वाक्य विन्यास सही नहीं थे। कुछ ने यह भी आरोप लगाया कि परीक्षा के आयोजन की पूरी प्रक्रिया बहुत जल्दी पूरी की गई है। मात्र एक महीने के भीतर परीक्षा का विज्ञापन देकर परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा का विज्ञापन 18 फरवरी को आया और 12 मार्च को ही परीक्षा आयोजित कर दी गई।
गंभीरता से जांच हो: रमन कुमार
रमन कुमार ने कहा कि दूसरे सत्र की परीक्षा बीएड से संबंधित शिक्षकों की थी। रविवार को सामाजिक अध्ययन, विज्ञान, गणित, कला व शिल्प और शारीरिक शिक्षा विषयों की परीक्षा हुई। सबसे ज्यादा परीक्षार्थी एसएसटी का पेपर ही देते हैं और वही पेपर सवालों के घेरे में आ गया है। चार विकल्पों में से एक का हाईलाइट होना संदेह पैदा करता है। इस मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। यह पेपर रद्द होना तय है लेकिन मेहनत कर पढ़ने वाले परीक्षार्थियों के नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है। दूर-दराज से पेपर देने पहुंचे परीक्षार्थियों खासकर महिलाओं के समय व पैसे की भरपाई कौन करेगा। महिला परीक्षार्थियों के साथ उनके परिवार का एक-एक सदस्य भी आया था। इस सारी लापरवाही का खामियाजा परीक्षार्थी क्यों भुगतें।
जो भी जिम्मेदार होगा, कार्रवाई करेंगे: प्रमुख सचिव
स्कूली शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव जसप्रीत तलवार ने कहा कि यह मामला हमारे संज्ञान में आ चुका है। अगर शिकायत सही पाई जाती है तो परीक्षा दोबारा आयोजित की जाएगी। जो भी जिम्मेदार होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।