पहले कश्मीर के मामले में पाकिस्तान ने रोना रोया, अब नागरिक संशोधन बिल पर बौखलाए इमरान

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भारत के प्रति पाकिस्तान की बौखलाहट कम होने का नाम नहीं ले रही. पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूरी दुनिया के सामने रोना रोया, अब नागरिक संशोधन बिल पर वे भारत के खिलाफ राग अलाप रहे हैं. इमरान ने गुरुवार को अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यक अत्याचार के शिकार हो रहे हैं. इमरान को जवाब देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि, ‘पाक पीएम इमरान खान को गैर-जरूरी बयान देने के बजाय अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए.

इमरान के नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के बारे में ट्वीट करते ही लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरु कर दिया. लोकसभा व राज्यसभा दोनों सदनों से इस विधेयक के पारित होने के बाद खान की टिप्पणी पर लोगों ने पलटवार करते हुए सोशल मीडिया पर सवाल दागे और कुछ लोगों ने जमकर मजाक भी बनाया. खान ने ट्वीट किया, “हम भारतीय लोकसभा के नागरिकता कानून की कड़ी निंदा करते हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय समझौतों के सभी मानदंडों का उल्लंघन करता है.”

एक यूजर ने खान से समानता पर सवाल पूछते हुए ट्वीट किया, “अपने देश में सभी के साथ समान रूप से बेहतर व्यवहार करें. क्या आपने ऐसा किया है? क्या यह आवश्यक नहीं है?” एक अन्य यूजर ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को आईना दिखाते हुए ट्वीट में कहा, “देखो, कौन बात कर रहा है. कृपया मानवाधिकारों के बारे में बात न करें, क्योंकि यह आपके अनुरूप नहीं है.”

एक यूजर ने खान पर कटाक्ष करते हुए लिखा, “सही मायनों में मुसलमानों के लिए बनाई गई मातृभूमि के रूप में आपको भारतीय उपमहाद्वीप के सभी सताए गए मुसलमानों को शरण देनी चाहिए. भारत को दिखाओ कि आप भी ऐसा कर सकते हो!” एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “हम ²ढ़ता से हिंदुओं, बलूचियों, सिंधियों, सिखों, ईसाइयों, अहमदिया, शियाओं और आपके अपने पश्तून कबीले के साथ अमानवीय व्यवहार के लिए पाकिस्तानी सरकार की कड़ी निंदा करते हैं.”

इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इस बिल का विरोध किया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ये बिल दोनों देशों के बीच तमाम द्विपक्षीय समझौतों का पूरी तरह से उल्लंघन है और खासतौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है.