इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा का विरोध करने वाली सेना के खिलाफ अब पाकस्तिान बार काउंसिल उतर आया है। काउंसिल ने पाकिस्तान की विशेष अदालत के फैसले (परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा) के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर के बयान की निंदा की है। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा के बाद सेना और अदालत आमने-सामने हैं। सेना ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाए हैं। दरअसल, यह विवाद सेना के एक पत्र से उत्पन्न हुआ। इस पत्र में मुशर्रफ की मौत की सजा की निंदा की गई थी। इसको लेकर सेना में अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
28 हज़ार लोग इस बारे में बात कर रहे हैं
पाकिस्तान के डीजी आइएसपीआर ने इसको लेकर एक ट्वीट किया और एक पत्र जारी किया है। इस पत्र को सेना ने शेयर किया है। इस पत्र में कहा गया है कि पूर्व सेना प्रमुख, स्टाफ कमिटी के ज्वाइंट चीफ और पूर्व राष्ट्रपति जिसने 40 वर्षों तक देश की सेवा की कई अहम युद्धों ने हिस्सा लिया। ऐसे में वह गद्दार कैसे हो सकते हैं ? इस पत्र के जरिए सेना ने मुशर्रफ का समर्थन किया है। सेना ने अदालत के फैसले पर भी सवाल उठाया है। सेना का तर्क है कि अदालत ने सजा देने की प्रक्रिया में पाकिस्तान के संविधान की अनदेखी की गई है। सेना का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति का सजा देने में आत्मरक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया है। इसमें मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। सेना के इस पत्र में कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि परवेज मुशर्रफ के साथ न्याय किया जाएगा।
गौरतलब है कि देशद्रोह के मामले में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई है। उन पर आपातकाल लगाने का आरोप था। गौरतलब है कि मुशर्रफ ने नवंबर 2009 में पाकिस्तान में आपातकाल लगाया था। इसके बाद नवाज शरीफ की सरकार ने 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ केस दर्ज किया था। मार्च 2016 से मुशर्रफ इलाज कराने के लिए दुबंई में रह रहे हैं। इस मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है। मौत की सजा पाने वाले मुशर्रफ दूसरे राष्ट्रपति हैं।