भोपाल | हनीट्रैप से जुड़े मानव तस्करी केस में फंसे खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल के ओएसडी हरीश खरे व अरुण निगम की छुट्टी हो गई है। एक दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को सख्त निर्देश दिए थे कि वे भाजपा सरकार के कार्यकाल वाले स्टाफ को तत्काल हटा दें। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने खरे और निगम को तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश जारी कर दिए। दूसरी ओर, मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने जीएडी से सभी मंत्रियाें के स्टाफ में पदस्थ कर्मचारियाें की जानकारी मांग ली है। ये स्टाफ भी जल्द हटाया जा सकता है।
कोई रिपोर्टर, कोई जेल प्रहरी
मंत्रियों की निजी स्थापना में पदस्थ ओएसडी, पीएस और पीए भाजपा सरकार में भी 15 साल जमे रहे। नई सरकार में भी मौका मिलने के कारण ज्यादातर स्टाफ ने अपने मूल विभाग में काम नहीं किया है। मंत्री तोमर का पीए जीआई माझी जेल प्रहरी है। वन मंत्री उमंग सिंघार के ओएसडी बसंत बाधरे विधानसभा में रिपोर्टर हैं। मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के ओएसडी महेश गुप्ता विकास आयुक्त कार्यालय और अरविंद सोन गिरकर जिला कोषालय, वित्त विभाग में बाबू हैं। ओंकार सिंह मरकाम, जनजाति कार्य मंत्री के आशीष चे के आदिम जाति कल्याण विभाग में हैं। सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया के पीएस वीरेंद्र तिवारी नगर निगम में राजस्व निरीक्षक है। लखन सिंह यादव के पीए विजय बुधवानी मंत्रालय में बाबू है। इमरती देवी पीए मनोज गोटीवाले जल संसाधन विभाग में यूडीसी है।
बैठक के बाद ही मंत्रियाें ने लिख दी थी नाेटशीट
उल्लेखनीय है कि मानव तस्करी केस के चालान में नाम अाने के बावजूद खरे अाैर निगम पद पर बने हुए थे। इससे मंत्रियाें पर भी सवाल उठ रहे थे। कैबिनेट बैठक में जब मुख्यमंत्री ने नाराजगी दिखाई ताे मंत्री ताेमर व जायसवाल ने बैठक के बाद अाेएसडी काे हटाने की नाेटशीट लिख दी थी। इसके बाद जीएडी से देर रात हटाने का अादेश निकाल दिया।
खरे काे मूल पद पर भेजा, निगम काे नई जिम्मेदारी
तोमर के ओएसडी खरे को महिला एवं बाल विकास विभाग में उपसंचालक के मूल पद पर भेज दिया है। उनकी जगह ग्वालियर में पदस्थ राज्य प्रशासनिक सेवा के संयुक्त कलेक्टर चंद्रभूषण प्रसाद को मंत्री का ओएसडी बनाया गया है। मंत्री जायसवाल के ओएसडी निगम को अनुसूचित जाति कल्याण विभाग भेजा गया है।