अरब लीग के बाद मुस्लिम देशों की सबसे बड़ी संस्था इस्लामी सहयोग संगठन (ओआइसी) ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्य-पूर्व की शांति योजना को खारिज कर दिया है। ओआइसी ने अपने सभी 57 सदस्य देशों से आह्वान किया कि वे इस शांति योजना को लागू करने में कोई सहयोग न दें।
दुनिया के 150 करोड़ मुस्लिम आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली इस संस्था ने कहा, ट्रंप की शांति योजना फलस्तीनी लोगों की न्यूनतम आकांक्षाओं और न्यायसंगत अधिकारों को भी पूरा नहीं करती। यह अभी तक की शांति प्रक्रिया से बने हालातों का भी उल्लंघन करती है। ऐसे में इसे स्वीकार करने की कोई वजह नहीं बनती। सऊदी अरब के जेद्दा शहर में सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा गया कि कोई भी सदस्य देश इस शांति योजना पर अमेरिका से कोई बातचीत या किसी तरह का सहयोग न करे। ऐसा कोई कार्य न करे जिससे अमेरिकी प्रशासन को इस योजना को लागू करने में मदद मिले।
उल्लेखनीय है कि इजरायल और फलस्तीन के बीच चल रहे विवाद को निपटाने के लिए ट्रंप यह शांति योजना लाए हैं। मध्य-पूर्व के इस विवाद में अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका में है। लेकिन फलस्तीन ने इस शांति योजना को लेकर अमेरिकी प्रयास को शुरू से खारिज किया है।
शांति योजना के तहत इजरायल को यरुशलम पर पूरा अधिकार मिल जाएगा और वह उसे अपनी राजधानी बना सकेगा। अभी यरुशलम के पूर्वी हिस्से पर फलस्तीन का कब्जा है। जबकि फलस्तीन और ओआइसी पूर्वी यरुशलम को फलस्तीन की भविष्य राजधानी मानता है। मुस्लिम समुदाय यरुशलम को पवित्र शहर मानता है और उससे भावनात्मक लगाव रखता है, तो यही स्थिति इजरायल में रहने वाले यहूदियों की है।